हरिद्वार के कनखल मे पहली बार पद्म विभूषण तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी के द्वारा श्री रामकथा 7 जून से 15 जून तक आयोजित की जा रही है। भगवान् श्री राम के जीवन पर आधारित कथा के आयोजन को लेकर बड़े स्तर पर तैयरिया की जा रही है।कथा का आयोजन कनखल में राजघाट पर प्राचीन सिद्धपीठ राधाकृष्ण मंदिर के प्रांगण मे किया जा रहा है।
श्री रामकथा आयोजन समिति के अचिन अग्रवाल और प्रशांत ने बताया की हरिद्वार मे पहली बार प्रकांड मानस मर्मज्ञ पद्मविभूषण तुलसीपीठाधेीशर जगतगुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के मुखारबिंद से भगवान श्रीराम की जीवन गाथा (श्री रामकथा) की अमृत वर्षा 7 जून से 15 जून तक आयोजित की जा रही है। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक होंगी। उन्होंने बताया की स्वामी रामभद्राचार्य जी की कथा को लेकर लोगो मे जबरदस्त उत्साह है।
कार्यक्रम आयोजक अचिन अग्रवाल ने बताया कि कथा के दौरान क्रम से श्रीरामायण जन्म, श्रीशिव विवाह, श्रीराम जन्म, बाललीला, श्रीराम विवाह, वनवास एवं केवट चरित्र, भरत चरित्र, हनुमत् चरित्र, श्रीराम राज्याभिषेक का आनंद श्रोता उठा सकेंगे
आयोजन समिति के वरिष्ठ सदस्य पूर्व पार्षद नितिन माना के अनुसार श्री राम कथा के लिए सभी तैयरिया पूर्ण हो चुकी है।कथा कनखल मे राजघाट पर स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री राधा कृष्ण मंदिर के प्रांगण मे होंगी. उन्होंने बताया कि करीब एक हजार रामभक्तो के बैठने की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा कथा सुनने आने वालों के लिए हर तरह की सुविधा का भी ध्यान रखा जा रहा है.
कथा आयोजन समिति के अचिन अग्रवाल के अनुसार कथा से पूर्व 7 जून को सुबह 9 बजे से शंकराचार्य चौक के पास मित्तल धाम से अमृत कलश यात्रा निकाली जाएगी। 251 महिलायें अमृत कलश लेकर नगर भर मे भ्रमण करेंगी और कलश यात्रा कथा स्थल पर संपन्न होंगी। 7 जून से 15 जून तक चलने वाली श्री राम कथा मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित सहित कई मंत्रियों व अनेक प्रतिष्ठित लोगो के आने की भी सम्भावना है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो माह के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी।
मात्र दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो जाने के बावजूद उन्होंने अपनी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं।वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं
वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं जैसे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं। यह माना जाता है कि राम जन्मभूमि के केस में उनकी गवाही बहुत महत्वपूर्ण रही थी।