एस एम जे एन कालेज में अन्तर्महाविद्यालयी खो-खो (छात्र/छात्रा) चैम्पियनशिप-2023-24 का हुआ उद्घाटन, फाइनल होगा हरिद्वार और ऋषिकेश की इन टीमों के बीच।

खेल शिक्षा हरिद्वार
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युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्षशील जोश भरने वाला खेल है खो-खो : श्री महन्त रविन्द्र पुरी
अन्तर्महाविद्यालयी खो-खो (छात्र/छात्रा) चैम्पियनशिप-2023-24 का हुआ उद्घाटन
महिला/पुरूष वर्ग का फाईनल ऋषिकेश तथा एस एम.जे.एन. काॅलेज के बीच खेला जायेगा

श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाहीथाॅल, टिहरी-गढ़वाल की अन्तर्महाविद्यालयी खो-खो (छात्र/छात्रा) चैम्पियनशिप-2023-24 का उद्घाटन आज एस.एम.जे.एन. काॅलेज में अखिल भारतीय अखाड़ा व काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज, मुख्य अतिथि प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, विशिष्ट अतिथि कुलसचिव प्रो. खेमराज भट्ट, डाॅ. पुष्कर गौड, खेलकूद अधीक्षक़, काॅलेज प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार द्वारा शुभारम्भ किया गया।


श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व काॅलेज प्रबन्ध समिति ने खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनायें प्रेषित करते हुए कहा कि खो-खो एक प्राचीनतम और अनूठा भारतीय खेल है, जिसका उद्गव प्रागैतिहासिक भारत में माना जाता है। खो-खो युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्शषील जोश भरने वाला खेल है, यह खेल पीछा करने वाले और प्रतिरक्षक दोनों में अत्यधिक कौशल, गति और उर्जा की मांग करता है। श्री महन्त ने कहा कि श्री देव सुमन विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एस.एम.जे.एन. काॅलेज कबड्डी व कुश्ती के लिए भी अन्तर्महाविद्यालयी आयोजन करने के लिए सहर्ष तैयार है।
मुख्य अतिथि प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, माननीय कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा खिलाड़ी छात्र-छात्राओं को शपथ दिलायी गयी तथा अनुशासन एवं प्रतिबद्धता से खेलकूद में भाग लेने का आह्वान किया।


प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत प्रेषित करते हुए कहा कि खो-खो के खेल दक्षिण एशिया से ही उत्पत्ति हुई है और माननीय प्रधानमंत्री के फिट इंडिया मूवमेंट का यह खेल अभिन्न हिस्सा है। महाविद्यालय भारतीय खेलों को इसी प्रकार से भविष्य में भी प्रोत्साहन देता रहेगा।
प्रो. खेमराज भट्ट, कुलसचिव, श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि एस.एम.जे.एन. महाविद्यालय खो-खो प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए निःसन्देह बधाई का पात्र है। तीर्थनगरी हरिद्वार का यह प्राचीनतम महाविद्यालय हमारे विश्वविद्यालय के लिए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यों को सम्पादित करता है। अगले वर्ष से कब्बडी प्रतियोगिता भी एसएमजेएन में होगी।
खो-खो चैम्पियनशिप में माँ शक्ति पुरी, महामंडलेश्वर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने छात्र-छात्राओं को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने छात्राओं के साथ मिलकर अपना प्रसिद्ध हरियाणवी श्रीकृष्ण भजन ‘काला काला कवे गुजरी’ की भी सुन्दर प्रस्तुति दी और श्रोत्राओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य खेलकूद अधीक्षक प्रो. तेजवीर सिंह तोमर ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत व शुभकानायें प्रेषित की। उन्होंने बताया कि आज खो-खो चैम्पियनशिप छात्र वर्ग का प्रथम सेमीनाईनल में डाकपत्थर काॅलेज व एसएम.जे.एन. काॅलेज के बीच तथा द्वितीय सेमीफाईनल राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार व श्री सुमन विश्वविद्यालय कैम्पस ऋषिकेश के बीच हुआ। खो-खो चैम्पियनशिप छात्रा वर्ग का प्रथम सेमीनाईनल गोपेश्वर महाविद्यालय व श्री सुमन विश्वविद्यालय कैम्पस ऋषिकेश के बीच तथा दूसरा सेमीफाईनल एसएमजेएन व कोटद्वार के मध्य खेला गया। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता महिला/पुरूष वर्ग का फाईनल 11 दिसम्बर को श्री देव सुमन कैम्पस ऋषिकेश तथा एस एम.जे.एन. काॅलेज के बीच खेला जायेगा।
उन्होंने खेलकूद अधीक्षक विनय थपलियाल, डाॅ. सुषमा नयाल व खेलकूद प्रशिक्षक मनोज मलिक, रंजीता व खेलकूद प्रशिक्षु मधुर अनेजा के सक्रिय सहयोग की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
इस अवसर पर मुख्य रूप से पुष्कर गौड़, खेलकूद अधीक्षक, श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, श्री गंगा महासभा अध्यक्ष नितिन गौतम, डाॅ. सत्य नारायण शर्मा, काॅलेज प्रबन्ध समिति के वरिष्ठ सदस्य आर.के शर्मा, रामानंद इंस्टीटयूट के निदेशक वैभव शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी डाॅ. विशाल गर्ग, अनिल शर्मा आदि उपस्थित रहे। प्रतियोगिताओं को सम्पन्न कराने में मुख्य रूप से डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी, प्रो. जे.सी. आर्य, डाॅ. नलिनी जैन, डाॅ. पल्लवी राणा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, श्रीमती रिचा मिनोचा, डाॅ. मिनाक्षी शर्मा, डाॅ. विनीता चौहान, श्रीमती रिंकल गोयल, वैभव बत्रा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. पुनीता शर्मा, डाॅ. रजनी सिंघल, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. शिव कुमार चौहान, डाॅ. मनेाज सोही, विनीत सक्सेना, डाॅ. लता शर्मा, अंकित बसंल, मोहन चन्द पाण्डेय आदि का विशेष सहयोग रहा।

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