अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव( 2023) में जीतने के बाद बीजेपी के 10 सांसदों ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दिया। इस्तीफा देने वाले सांसदों में छत्तीसगढ़ के गोमती साई, मध्य प्रदेश के नरेंद्र सिंह तोमर, राकेश सिंह, प्रह्लाद पटेल, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं ।वहीं राजस्थान के सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, और किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफा देने वाले 10 सांसदों में 5 मध्य प्रदेश, 3 राजस्थान और 2 छत्तीसगढ़ से हैं। बीजेपी ने 21 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था, जिनमें से 12 ने जीत हासिल की और 9 सांसद हार गए ।विधायक का चुनाव जीतने वाले 10 सांसद आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास अपना इस्तीफा सौंपने पहुंचे। अब वे विधायक बने रहेंगे । चुनाव जीतने वाले दो अन्य सांसद बाबा बालकनाथ और रेणुका सिंह आज इस्तीफा सौंपने नहीं पहुंचे।बीजेपी ने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था, ताकि वे ज्यादा सीटें जीत सके। बीजेपी ने राजस्थान और एमपी में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को उम्मीदवार बनाया था। इनमें से 12 सांसद चुनाव जीते यानी 9 अन्य सांसद विधानसभा का चुनाव हार गए।
एमपी में बीजेपी ने अपने सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, राकेश सिंह, गणेश सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते, राव उदय प्रताप, रीति पाठक को टिकट दिया था। इसमें फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए। राजस्थान में बीजेपी सांसद दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़, किरोणी लाल मीणा, देवजी पटले और राज्यवर्धन राठौड़ को विधानसभा चुनाव लड़वाया था। इनमें भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़ और देवजी पटेल जीत नहीं पाए। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सांसद विजय बघेल, रेणुका सिंह, गोमती साय और अरुण साव भी मैदान में थे। इनमें से विजय बघेल चुनाव हारे। तेलंगाना में सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार, धर्मपुरी अरविंद और सोयम बाबू को विधानसभा में चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन बीजेपी के ये तीनों सांसद ही चुनाव हार गए।
बीजेपी के 9 सांसद जो विधानसभा का चुनाव हारे हैं, उनका क्या होगा? अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्या पार्टी उन्हें फिर से लोकसभा का उम्मीदवार बनाएगी? इस सवाल पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव हारने का मतलब यह नहीं है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर छत्तीसगढ़ में देखें तो विजय बघेल ने वहां भूपेश बघेल को कड़ी टक्कर दी। वह चुनाव हारे, यह अलग बात है। तेलंगाना के एक बीजेपी नेता ने कहा कि तेलंगाना के लोगों ने बदलाव का मन बनाया था और उन्होंने कांग्रेस पर भरोसा जताया। यह चुनाव सत्ता विरोधी लहर पर सवार था और इसलिए लोगों ने एक पार्टी को वोट दिया। बीजेपी सांसदों का अपने इलाके में काफी जनाधार है।