सावन मास में  शिवमहापुराण का श्रवण किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं- पं उमेश चंद्र शास्त्री,श्री  शिव मंदिर में आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा  का शुभारंभ।

धार्मिक हरिद्वार

श्री सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा के प्रथम दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए परम पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री महाराज जी ने शिव महापुराण के महत्व की कथा सुनाई।और सबसे पहले ये बताया की शिव महापुराण क्या है?महाराज जी ने बताया की ये कथा शिव जी ने स्वयं कहीं है सावन मास में शिव कथा का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान शिव के हाथों में आजकल सृष्टि का संचालन रहता है तथा एक मास पृथ्वी पर ही रह कर अपने भक्तों के साथ में आनंद उठाते हैं सावन मास में ही शिव पर एक लोटा जल का चढ़ाने पर शिव की कृपा की प्राप्ति होती है यदि शिवमहापुराण का श्रवण किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं ।

श्री व्यास जी महाराज जी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा की देवराज नाम का एक ब्राह्मण था वह प्रतिदिन चोरी करना मारना किसी की संपत्ति पर कब्जा करना ऐसी कुछ कार्यों में व्यस्त रहता था कभी भी ईश्वर का नाम नहीं लेता था जब पाप का पूरा घड़ा भर गया वह एक दिन बहुत अधिक ज्वर हो गया लेकिन वह किसी  भी उपचार से  ठीक नहीं हुआ तब वह एक भगवान शिव के मंदिर गया  वहां पर शिवपुराण की कथा हो रही थी जहां बहुत अधिक साधु महात्मा उसे सुन रहे थे उसके मन में भी आया कि मैं भी उसको सुन लूं तथा पूरे सावन मास उसने वह कथा सुनी यह कथा सुनकर उसका उद्धार हो गया और जब उसकी मृत्यु हुई तो भगवान शंकर जी के दूत उसको शंकर  के धाम ले गए क्योंकि उसने अंत समय में शंकर जी की कथा का श्रवण किया था  इसलिए भगवान शिव ने उसको अपने धाम भेज दिया।परम पूज्य महाराज उमेश चंद शास्त्री जी बताया की भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव भगवान की महिमा की गई है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमा मंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है।शिव – जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।
कथा के मुख्य यजमान प्रभात गुप्ता और उनकी धर्मपत्नी रेनू गुप्ता, ब्रिजेश शर्मा,जय प्रकाश,राकेश मालवीय,दिलीप गुप्ता,तेजप्रकाश,रामकुमार आदित्य गहलोत,अनिल चौहान ,सुनील चौहान,विष्णु समाधिया,महेश,मानदाता,मोहित तिवारी,हरिनारायण त्रिपाठी,दीपक मोर,मंगरे,अलका शर्मा,भावना गहलोत,पुष्पा गुप्ता,संतोष चौहान,सरला शर्मा,विभा गौतम,अनपूर्णा,बबिता,नीतू गुप्ता,
राजकिशोरी मिश्रा,सुमन,कृष्णाचौधरी,कौशल्या, अंजू ,मंजू,अनपूर्णा आदि लोग कलश यात्रा में सम्मिलित हुए।

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