पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हिमालय के संरक्षण के लिये सामूहिक प्रयासों की जरूरत बतायी है।
हिमालय दिवस हर साल 9 सितंबर को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और क्षेत्र को संरक्षित करना है । हिमालय प्रकृति को बचाने और बनाए रखने और देश को प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।2014 से 09 सितंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय हमारी पहचान, संस्कृति और जीवन रेखा है। हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमालय को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सामाजिक विकास की आवश्यकता के दृष्टिगत हमें इकॉलोजी एवं इकोनॉमी में समन्वय के साथ कार्य करना होगा। हमारी पीढियों के लिये हिमालय की सुदरता तथा जैव विविधता को संरक्षित रखना हमारा दायित्व है। हिमालय हमारे जीवन से जुडा विषय होने के नाते इसके संरक्षण का दायित्व हम सभी का है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये महत्व है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। प्रकृति के संरक्षण के लिये हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्डवासियों के स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व, प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का परिणाम है। उन्होंने कहा कि हमारे बुग्याल भी हिमालय की अनमोल धरोहर है। बुग्यालों के संरक्षण की दिशा में पहल करते हुए राज्य में प्रतिवर्ष 02 सितम्बर को बुग्याल संरक्षण दिवस के रूप में आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में प्रतिवर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाया जाने की घोषणा की गई थी, उन्होंने भी अपने संदेश में शुभकामनाएं दी हैं।