सनातन ज्ञानपीठ शिव मंदिर सेक्टर 1भेल हरिद्वार में चल रही ग्यारह दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा में आज तीसरे दिवस की कथा में कथा व्यास महंत प्रदीप गोस्वामी जी ने शिव पुराण में वर्णित भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने बताया कि समस्त सृष्टि शिवमय है जब कुछ नहीं था तब शांति के रूप में केवल शिव ही थे भूत भावन शिव की कृपा से ही संसार के त्रिगुण शक्ति ब्रह्मा,विष्णु ओर रूद्र प्राप्त हुई है। निराकार परब्रह्म ही शिव का वास्तविक स्वरूप है व्यास महाराज जी ने कहा कि भगवान शिव को सर्वस्व जानकर समाज को आज एक जुट रहकर केवल शिव आराधना करने की आवश्यकता है। सर्व प्रथम विष्णु भगवान जी ने शिव की सहस्त्र कमल पुष्प चढ़ाकर पूजा की।
कथा व्यास जी ने बताया की सत्य ही शिव है शिव को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति आज सत्याचरण का पालन कर शिव को प्राप्त करना होगा। महाराज श्री ने कथा को आगे सुनाते हुए श्रोता गण को रुद्राक्ष की महिमा का बखान करते हुए बताया कि रुद्राक्ष भगवान शिव का सगुन साकार रूप ही है रुद्राक्ष धारण करने से समस्त कलेश स्वत नष्ट हो जाते हैं यदि रुद्राक्ष धारण कर बिल पत्रों के साथ मनुष्य भगवान शिव की आराधना करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती।
सदा शिव आराधना ही सब सुख प्राप्ति का एकमात्र साधन है शंभू तो सदा ही शिवपूजन पुण्यदायी है परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष मुहूर्त में यदि शिव आराधना की जाए तो निश्चित ही कार्य सिद्ध होते हैं कथा श्रवण करने हुए श्रोताओं ने शिव कथा के माध्यम से अनेकों जीवनोपयोगी सूत्रों को महाराज जी के श्री मुख से श्रवण कर कथा का आनंद लिया।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,अनिल चौहान,मान दाता,हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान, होशियार सिंह, अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता,नीरु गौतम,सुनीता चौहान,पूनम, संतोषचौहान,गीता बहुगुणा, मंजू,रेनू,मनसा मिश्रा, विनीता, सरला,राजकिशोरी मिश्रा,विभा गौतम,कुसुमगेरा,अनपूर्णा मिश्रा,बबिता,कौशल्या आदि सम्मिलित हुए ।