चमगादड़ टापू पार्किंग मैदान में मानव उत्थान सेवा समिति की शाखा श्री प्रेमनगर आश्रम के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय सद्भावना सम्मेलन के समापन के अवसर पर आज उपस्थित विशाल जन समुदाय को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने कहा
कि साधु-संतों का जो सानिध्य है, यह अपने आप में एक तीर्थ के समान है। जहां यह माना जाता है कि व्यक्ति डुबकी लगाता है, अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर देता है। जैसे लोग गंगा जी में जाकर के डुबकी लगाते हैं, नाक और मुंह को बंद करके अपने शरीर को पानी की सतह के नीचे ले जाते हैं। मेरे कहने का अभिप्राय यही है कि जब तक हम पूर्ण रूपेण समर्पित अपने आपको नहीं करेंगे, जब तक हम हृदय को खोल करके सत्संग नहीं सुनेंगे, समर्पण नहीं करेंगे, तब तक भक्ति का मर्म समझ में नहीं आएगा। महाराज ने आगे कहा कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता ब्रह्मा, विष्णु, महेश जैसा भी कोई व्यक्ति हो जाए, तो भी गुरु के बिना उसका उद्धार नहीं होगा। इसलिए भगवान श्री कृष्ण को संदीपनि ऋषि के पास जाना पड़ा, भगवान श्री को वशिष्ठ जी के पास जाना पड़ा, विश्वामित्र पास जाना पड़ा। कार्यक्रम के समापन पर भक्तों द्वारा श्री सतपाल महाराज माता अमृता व अन्य विभूतियों का फूल मालाओं से अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन हरि संतोषानंद ने किया।तीन दिवसीय सद्भावना सम्मेलन में यूपी उत्तराखंड दिल्ली नेपाल से हजारों की संख्या में अनुयाई शामिल हुए।