सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1भेल् हरिद्वार द्वारा आयोजित शिव महापुराण मे श्री धाम वृन्दावन से पधारे कथा व्यास पंडित उमेश चंद्र शास्त्री ने सातवे दिन की कथा में बताया कि जीवन मे श्रद्धा ,विश्वास आ जाते ही तभी पुरुषार्थ ओर विवेक का प्राकृटय होता है आज शिव पार्वती का मिलन हुआ।तब पुरुषार्थ कार्तिकेय विवेक गणपति का जन्म हुआ बिना तप के विवेक प्राप्त नहीं होता,भगवान शिव ये बताना चाहते है मेरे यहाँ पुरुषार्थ ओर विवेक का प्राकृटय तब हुआ जब मैने तप किया।भगवान शिव जैसा तपस्वी दूसरा देव नहीं है हमेशा भजन,हमेशा स्मरण दो घड़ी से ज्यादा बैठे तभी तो पुरुषार्थ ओर विवेक प्रकट हुआ है ।यानी जो व्यक्ति तपस्या करके कार्य करेगा तो उसका पुरुषार्थ फलीभूत होगा क्योकि तपस्या से विवेक प्राप्त होता है।विवेकी व्यक्ति कभी गड़बड़ी नहीं कर सकता।भगवान शिव ये कहना चाहते है की मेरी कथा कलयुगी लोगो के लिए सबसे बड़ा तप है ओर जो मेरी कथा सुनेगा उसके यहाँ दो बेटे होंगे पुरुषार्थ ओर विवेकी।
पुरुषार्थ ओर विवेक की इसलिए भी आवश्कता है कि तारकासुर को पुरुषार्थ ही मार सकता है जैसे तारकासुर ने देवताओं को परेशान किया तब पुरुषार्थ कार्तिकेय ने उस तारकासुर को मारा।
वैसे ही हर मानव के अंदर तारकासुर बैठा है हमें अपने अंदर से तारकासुर को निकालना है जो शिव की कथा मे जाकर तपना होगा फिर हमारे जीवन मे पुरुषार्थ विवेक प्रगट हो जायेगा और हमारे अंदर का तारकासुर मर जायेगा और फिर हम शिव ,पार्वती के प्यारे हो जाएंगे फिर जैसे शिव अपने पुत्रों कार्तिकेय ,गणेश को प्रेम करते है।वैसे ही हमें भी प्रेम करेंगे।इसलिए शिव कथा का तप बहुत जरूरी है।और् कथा में गणेश का जन्म महोत्सव मनाते हुए बताया जिसके जीवन मे विवेक आ जाता है उसके सब विघ्न नष्ट हो जाते हैं अथार्त तप जरूरी है।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा कथा के मुख्य यजमान राजीव ओर मीनाक्षी,जयप्रकाश,आदित्य गहलोत,राकेश मालवीय,रामकुमार,तेजप्रकाश,दिलीप गुप्ता,अनिल चौहान,सुनील चौहान,महेश,दीपक मोर,शशि शर्मा,ऋषि,संजीव, विष्णु,मानदाता,होशियार सिंह,चंद्रभान,दिनेश उपाध्याय,मूला सिंह,अलका,संतोष,पुष्पा,कुसुम,सरला,अंजू,मंजू,डोली,विभा गौतम,भावना,अनपूर्णा,राजकिशोरी मिश्रा,रेनू शर्मा,अर्चना,कौशल्या,सुमन विनोद देवी अनेको श्रोता उपस्थित रहे।