उत्तराखंड शासन ने एक पत्र जारी करते हुए पूर्व सैनिक कल्याण निगम (UPNL) के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। यह नैनीताल हाईकोर्ट में योजित रिट याचिका संख्या 116/2018 (PIL) में पारित निर्देशों के अनुपालन में जारी किया गया है। ज्ञात रहे उपनल कर्मचारी लंबे समय से समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर आंदोलित हैं।
शासन द्वारा जारी पत्र के अनुसार, ऐसे उपनल कर्मी जिन्होंने राज्य सरकार के अधीन विभागों या संस्थानों में 12 वर्ष या उससे अधिक की निरंतर सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत पर दिया जाएगा। यह निर्णय लंबे समय से वेतन असमानता झेल रहे कर्मचारियों के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है।
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी लगातार सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें भी चरणबद्ध तरीके से समान वेतन और भत्ता दिया जाएगा। संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि कर्मचारियों के वेतन निर्धारण में कोई लापरवाही न बरतें।
निर्धारण पत्र में कहा गया है कि उपनल कर्मचारियों का वेतन निर्धारण उसी विभाग से किया जाएगा, जहां वे तैनात हैं। संबंधित विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि न्यूनतम वेतन और महंगाई भत्ता निर्धारित नियमों के अनुसार दिया जाए। इस महत्वपूर्ण फैसले से प्रदेश के हजारों उपनल कर्मियों को आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रशासनिक विभागों को निर्देशित किया गया है कि आदेश के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि फिलहाल धरना स्थगित किया गया है, लेकिन इसे समाप्त नहीं माना जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सोमवार तक शासन द्वारा जीओ जारी नहीं किया जाता है तो आंदोलन फिर से आरंभ किया जाएगा।

