शिव मंदिर भेल में आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा के चतुर्थ दिवस कथा व्यास उमेश चंद्र शास्त्री महाराज ने सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा के प्रकार बताए।

धार्मिक हरिद्वार

श्री सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा के चौथे
दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए परम पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री महाराज जी ने बताया कि सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा कई प्रकार से की जाती है. कोई उनकी मूर्ति की पूजा करता है तो कोई शिवलिंग की पूजा करता है. शिवलिंग पूजा में भी उनकी पूजा कई तरह से की जाती है उन्ही मै से एक है पार्थिव शिवलिंग पूजा। पार्थिव शिवलिंग की पूजा अत्यंत ही शुभ एवं भगवान शिव से मनचाहा वरदान दिलाने वाली मानी गई है।
सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का अपना ही महत्व है महाराज जी ने बताया की सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।इनकी पूजा और अर्चना से शिव साधक को अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।
शिव महापुराण में दिए गए श्लोक के अनुसार
*‘अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध: कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।’*
पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने और उसका विधिवत पूजन करने से जीवन में सुख, संपत्ति और शान्ति की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही, संतान सुख से वंचित दंपत्तियों को संतान प्राप्ति की कामना की जाती है और सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते समय, शिवलिंग के सामने बैठकर मन ही मन पूजा का संकल्प पढ़ा जाता है।इसके बाद,पवित्र मिट्टी को फूल और चन्दन से शुद्ध करते हुए,भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करते हुए इस मिट्टी में गाय का दूध, गोबर, गुड़, भस्म और गाय के दूध से बनाया गया मक्खन मिलाकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है. इसका ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग को पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके ही बनाया जाता है।
पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।इसलिए सपरिवार ही शिवलिंग शिवलिंग बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी और सम्पन रहता है।
कथा मे मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के मुख्य यजमान प्रभात गुप्ता और उनकी धर्मपत्नी रेनू गुप्ता,
जय प्रकाश,राकेश मालवीय,दिलीप गुप्ता,तेज प्रकाश,अनिल चौहान, सुनील चौहान,विष्णु समाधिया,मानदाता, मोहित तिवारी,हरिनारायण त्रिपाठी,कुलदीप कुमार,अवधेश पाल ,मंगरे,रामललितगुप्ता,धर्मपाल,राजीव
,अलका शर्मा,संतोष चौहान,पुष्पा गुप्ता,सरला शर्मा,विभा गौतम,अनपूर्णा, राजकिशोरी मिश्रा,सुमन,मिनाक्षी कौशल्या,अंजू,मंजू,तनु चौहान,नीतू गुप्ता,कुसुम गैरा,मनसा मिश्रा,सुनीता चौहान और अनेको श्रोता गण कथा मे सम्मिलित हुए।

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