उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने राज्य के शिक्षा मंत्री और महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को ज्ञापन देकर प्राथमिक शिक्षकों को संपूर्ण सेवाकाल में एक बार गृह जनपद में तैनाती देने हेतु नीति बनाने की मांग की है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री और महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को भेजे ज्ञापन में उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय तदर्थ समिति के सदस्य मनोज तिवारी और कई शिक्षकों ने बताया कि विगत कई वर्षों से प्राथमिक शिक्षा संवर्ग के अंतर्गत शिक्षकों का चयन राज्य एवं जिला स्तरीय वरिष्ठता सूची/काउंसलिंग के आधार पर हुआ है, इस कारण दुर्गम श्रेणी के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती को प्राथमिकता देते हुए अनेक शिक्षक अपने मूल गृह जनपर्दो से इतर अन्य जनपदों में नियुक्ति पा गए, कुछ शिक्षकों को तो 10 से लेकर 20 वर्ष तक हो गए हैं जो अपने गृह जनपद से बाहर अन्य जनपदों में आज भी अपनी सेवा दे रहे हैं तथा लंबे समय से अपने गृह जनपद जाने की आस में लगे हैं। राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन भी समय समय पर इस प्रयोजन से सरकार, शासन एवं विभागीय स्तर पर कई बार वार्ता कर चुका है, परन्तु अभी तक उपर्युक्त विषयक पर कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है। स्थानांतरण एक्ट में भी ऐसे शिक्षकों के लिए एक निश्चित सेवा अवधि के पश्चात् स्व गृहजनपद में तैनाती का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। सरकार एवं विभाग के बीच इस मुद्दे पर सहमति भी व्यक्त की गई है। परन्तु अभी तक कोई निर्णायक शासनादेश सरकार, विभाग एवं प्रशासन द्वारा निर्गत नहीं पाया है, जिससे अधिकांश शिक्षक अवसाद की स्थिति से गुजर रहे हैं। इसलिए प्राथमिक शिक्षक संघ की मांग है कि एल०टी० शिक्षकों की तर्ज पर प्रारंभिक शिक्षा संवर्ग के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को भी संपूर्ण सेवा काल में एक बार अपना संवर्ग परिवर्तन कर (मूल गृहजनपदों) में स्थानांतरण हेतु नियमावली बनाने/संशोधन करने का कष्ट करें, जिससे शिक्षक अपनी एक निश्चित सेवा अवधि के पश्चात् वरिष्ठता के आधार पर अपने मूल गृहजनपदों में स्थानांतरित होकर पूर्ण मनोयोग से शिक्षण कार्य कर सके। इसमें विभाग को भी किसी प्रकार की आर्थिक क्षति नहीं है।

