महामहिम राज्यपाल गुरमीत सिंह हरकी पौड़ी गंगा जी की आरती में शामिल हुए, उत्तराखंड संस्कृत वि वि के 11वें दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए।

शिक्षा संस्कृति सम्मान हरिद्वार
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महामहिम राज्यपाल गुरमीत सिंह ने हरकी पौड़ी पहुॅचकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना कर दुग्धाभिषेक किया तथा गंगा आरती में शामिल हुए और देश-प्रदेश की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना की।

इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल ने उत्तराखंड संस्कृत वि वि में आयोजित दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग भी किया।

महामहिम राज्यपाल के हरकी पौड़ी पहुॅचने पर श्री गंगा सभा के सभापति कृष्ण कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष मनोज झा, स्वागत मंत्री सिद्धार्थ चक्रपाणि, प्रचार सचिव शैलेश मोहन, घाट व्यवस्था सचिव वीरेंद्र कौशिक, सचिव देवेन्द्र पटुवर, सचिव उज्जवल पंडित, विशेष आमंत्रित सदस्य अरविन्द अधिकारी, अनमोल मल ने अंगवस्त्र, गंगगजलि आदि भेंट कर स्वागत किया। महामहिम राज्यपाल ने हरकी पौड़ी पर आरती में प्रतिभाग़ करने के बाद कही यह महत्वपूर्ण बात ।

राज्यपाल ने संस्कृत विवि के 30 छात्रों को स्वर्ण पदक से नवाजा
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के 11वेंदीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल श्री गुरमीत सिंह (से0नि0) ने 30 स्नातक और परास्नातक छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किया। इसके साथ विवि के विभिन्न विभागों के 21 छात्र-छात्राओं को विद्यावारिधि की उपाधि देकर सम्मानित किया। राज्यपाल के हाथों स्वर्ण पदक और विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त कर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं खुश नजर आए।

दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति होती है। संस्कृति जब तक जीवित व सुरक्षित है, तभी तक राष्ट्र भी जीवित व सुरक्षित रहता है। विश्व की सारी संस्कृतियों में सबसे प्राचीन एवं श्रेष्ठ हमारी भारतीय संस्कृति या वैदिक संस्कृति है। इस संस्कृति का आधार संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा के बिना भारतीय संस्कृति की और भारतीय संस्कृति के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। राज्यपाल ने मेडल और उपाधि पाने वाले छात्रों से कहा कि वह भारत की धरोहर को आगे तक लेकर जायेंगे , तभी उनको मिले मेडल और उपाधि की सार्थकता होगी,उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति की भूमिका बहुत अधिक हैं। भारत की युवा शक्ति के कंधे पर ही संस्कृत , संस्कृति को आगे ले जाने की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना होगा उन्होंने कहा कि विश्व की संपूर्ण शिक्षा संस्कृत में निहित है।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों, राममंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज, देव संस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या और केंद्रीय संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. श्रीनिवासन वरखेड़ी को विद्यावाचस्पति (डी० लिट०)की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि यदि संस्कृति भारत देश की आत्मा है तो संस्कृत भाषा संस्कृति की आत्मा है। प्रोफ़ेसर शास्त्री ने विश्वविद्यालय की इन्फ़्रास्ट्रक्चर, विभिन्न संस्थाओं के साथ किये गये एम० ओ० यू ०विभिन्न आयामों पर विश्वविद्यालय की प्रगति पर प्रकाश डाला ।प्रो० शास्त्री ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा ज्योतिष, योग,वेद,कर्मकाण्ड आदि क्षेत्रों में अत्यंत न्यून सेवा राशि पर परामर्श सेवा प्रदान की जा रही है। इसलिए आमजन को इस सुविधा का लाभ लेना चाहिए ।आचार्य व शास्त्री के छात्रों को उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में कुल 3047 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में सत्र 2022-23 के 1582 छात्र-छात्राओं को और सत्र 2023-24 के 1465 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई।

इस अवसर पर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओमप्रकाश नेगी, उत्तराखंड औद्यानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो परविंदर कौशल, प्रो. यशबीर सिंह समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. प्रकाश पंत ने किया।

प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में दीक्षांत समारोह महत्वपूर्ण
हरिद्वार। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने आधार भाषण किया। उन्होंने कहा कि हरिद्वार भारतीय ज्ञान परम्परा का केन्द्र होने के साथ साथ प्राचीन विद्याओं का उद्गम स्थान भी है। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधियां प्राप्त कर यहां के स्नातक विभिन्न क्षेत्रों में देश ही नहीं विदेशों में भी विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाएंगे। प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में दीक्षांत समारोह महत्वपूर्ण अवसर होता है, यह अवसर केवल उपाधियों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षा मूल्यों के विशिष्ट सिद्धान्तों को आत्मसात करने का अवसर भी होता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत एक भाषा होने के साथ ही भरतीय जीवन दर्शन भी है।

एआई का प्रयोग कर संस्कृत को परिष्कृत करे
हद्विार। संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने कहा कि कि हम एआई का प्रयोग करते हुए संस्कृत भाषा को और अधिक परिष्कृत कर सकते हैं। हमारे विभिन्न ग्रंथों में उपलब्ध मंत्रों में से कुछ मंत्र महामृत्युंजय, गायत्री, दुर्गासप्तशती में देवी कवच आदि मंत्रों पर अनुसंधान करने की आवश्यकता है। यदि विश्वविद्यालय इसको ध्येय बनाकर एक्शन रिसर्च पर कार्यवाही करता है, तो निश्चित रूप से विश्व में संस्कृत भाषा का यश फैलेगा।

गोल्ड मेडल से ये छात्र छात्राएं सम्मानित
दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र रितेश कुमार तिवारी, अभिषेक सैनी, कु. वंदना मौर्या, सूरज तिवाड़ी, विनीता, हिमांशु मुण्डेेपी, शुभांगिनी तिवारी, सागर खेमरिया, परविन्दर सिंह, चन्द्र मोहन, ताजीम फात्मा, उपासना वर्मा, निधि, ब्रजेश जोशी, देवव्रत, हिमांशु, सन्नी, अमित जोशी, सुबोध बहुगुणा, अनुराग शर्मा, अतुल ध्यानी, कु. प्रतिज्ञा चौहान, भारत कुमार, पवन जोशी, निधि, शिफालीय अफरीन, नीतू तलवार, गुरमीत सैन, कु. स्वाति, मनीष शर्मा को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

इस दौरान जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल, मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे, नगर आयुक्त वरूण चौधरी, एचआरडीए उपाध्यक्ष अंशुल सिंह, अपर जिलाधिकारी पीएल शाह, सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान, उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह आदि उपस्थित थे।

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