निकाय चुनाव को लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ाया गया, ओबीसी आरक्षण को लेकर सौंपनी थी रिपोर्ट।

उत्तराखंड प्रशासन राजनीति

उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया गया। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वार प्रवर समिति गठित करने की घोषणा के क्रम में गत 09 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई थी। जिसमें शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को समिति का सभापति बनाया गया थी। जबकि पक्ष-विपक्ष के छह विधायकों विनोद चमोली मुन्ना सिंह चौहान शहजाद खजान दास ममता राकेश और हरीश सिंह धामी को सदस्य नामित किया गया था। विधेयक में नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का परीक्षण कर प्रवर समिति को विधानसभा अध्यक्ष को एक माह में रिपोर्ट सौंपनी थी। इसी के साथ प्रदेश में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हुआ। प्रवर समिति ने बैठक में अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया था कि 2011 की जनगणना के आधार पर जिस तरह 2018 के निकाय चुनाव हुए थे, वैसे ही ओबीसी आरक्षण इस बार के चुनाव में भी दिया जाएगा। विधानसभा स्थित कक्ष में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति की बैठक हुई थी। बैठक में ओबीसी आरक्षण को सदन में चुनौती देने वाले प्रवर समिति के सदस्य भाजपा विधायक विनोद चमोली और मुन्ना सिंह चौहान के अलावा कांग्रेस विधायक ममता राकेश व बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद भी शामिल हुए थे। बैठक के बाद मंत्री अग्रवाल ने बताया था कि निकाय चुनाव के लिए अब 10 नवंबर को हाईकोर्ट में कार्यक्रम पेश कर दिया जाएगा। कहा, चूंकि यह मुद्दा काफी व्यापक है, जिसके लिए और अधिक समय की जरूरत है। लिहाजा, प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया जाएगा। समिति का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इस प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है।

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