गंगा की गोद में मिली, 4128 लावारिस आत्माओं को मुक्ति ,देवोत्थान सेवा समिति रजि, दिल्ली एवं पुण्यदाई अभियान सेवा, न्यास समिति के संयुक्त तत्वावधान में पितृपक्ष की ऐतिहासिक 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा 4128 लावारिस मृतात्माओं को मुक्ति दिलाने के साथ ही संपन्न हो गई। अस्थि कलश यात्रा का भीमगौड़ा क्षेत्र में भव्य स्वागत किया गया।
देवोत्थान सेवा समिति (रजि.) दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नरेंद्र एवं महामंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में पिछले 22 वर्षों से लगातार देश -विदेश के श्मशान घाटों में पड़ी लावारिस अस्थियों को एकत्र कर पितृ पक्ष में कनखल के सतीघाट पर पूर्ण विधि विधान के साथ मां गंगा की गोद में विसर्जित कराया जा रहा है। संस्था की ओर से अब तक 1,65, 289 अस्थि कलशों को गंगा में विसर्जित कर लावारिस आत्माओं को मुक्ति दिलाई जा रही है। इस कड़ी में शनिवार, 28 सितंबर 2024 को सतीघाट, कनखल पर 4128 लावारिस अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित किया गया है। इसके पूर्व 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा बैंड-बाजों और महादेव के भव्य रथ के साथ निष्काम सेवा ट्रस्ट, भूपतवाला हरिद्वार से चलकर सतीघाट कनखल पहुंचने के रास्ते में भीमगोडा पंजाब सिंह क्षेत्र के व्यापारियों ने अजय अरोड़ा के संयोजन में अस्थि कलश यात्रा का स्वागत किया और अस्थि कलश को श्रद्धांजलि दी। कलश यात्रियों को सूक्ष्म जलपान भी कराया गया। इस अवसर परअजय अरोड़ा ने बताया कि यहां के व्यापारी पिछले 12 वर्षों से हर वर्ष अस्थि कलश यात्रा का स्वागत करते हैं और हुतात्माओ की अस्थियों को श्रद्धांजलि देते हैं,
इस अवसर पर निवर्तमान पार्षदअनिरुद्ध भाटी, कैलाश भट्ट,विनीत जोली , सहित बलकेश राजोरीया ,राज कुमार अरोड़ा, शिव कुमार कश्यप,गुलशन भसीन, सतीश कश्यप, मयंक मूर्ति भट्ट,राजेंद्र गिरी, दादा गोविंद दास ,गुप्ता हैंडलूम, पंकज नैय्यर, पंकज सुखीजा, गोपाल जैन, अमित जैन, प्रबंधक संत मंडल, आदि ने श्रद्धांजलि दी और कलश यात्रियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन तरुण नैय्यर ने किया। यहां देवोत्थान सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नरेंद्र और महामंत्री विजय शर्मा भाव विभोर हो गए।वहीं पुण्यदाई अभियान सेवा, न्यास समिति की ओर से आयोजित श्रंद्धाजलि सभा को संबोधित करते हुए देवोत्थान सेवा समिति (रजि) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नरेंद्र ने कहा वर्तमान पीढ़ी में संस्कारों का अभाव हो गया है। बड़े घरानों के लोग भी श्राद्ध कर्म कराने से परहेज़ करते है। केवल दाह संस्कार कर इतिश्री कर लेते है। इसके चलते श्मशान घाटों में अस्थियां पड़ी रहती है। उनकी संस्था का संकल्प है जब तक श्मसान घाटों में लावारिस अस्थियां मिलती रहेगी। अस्थि विसर्जन का कार्य जारी रहेगा।
सतीघाट कनखल पर विद्वान पं जितेन्द्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गंगा की गोद में अस्थियों का विसर्जन कार्य संपन्न कराया। 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा के सफल आयोजन में योगेन्द्र सिंह, मान, रामनाथ लूथरा, पंडित प्रदीप शर्मा, अभिषेक शर्मा, सतीश गर्ग, सुमन कुमार गुप्ता, किरणदीप कौर, मनोज कुमार जिंदल, पंकज आगरा, गोपाल वर्मा, विजय कुमार, विकास शर्मा, डीके भार्गव, प्रेम गुलाटी, प्रदीप महाजन, आरएस दुआ, कन्हैयालाल श्रीवास्तव, आचार्य विष्णु अवतार शास्त्री, अशोक माहेश्वरी, अनुपम माहेश्वरी, डॉ राजेंद्र, डॉ शैलेंद्र सिंह, करण माहेश्वरी, सुरेंद्र शर्मा, दिनेश भारद्वाज, सुनील डाटा, अजय वर्मा, आशीष कश्यप, नमन शर्मा, साहिल वर्मा, ध्रुव आंगरा, कप्तान निखिल सिंह, दिव्यांशु वर्मा, ऋतिक डेरा, हीरालाल, गोपाल, कृष्णा अग्रवाल, अवधेश कुमार, के दुबे एवं पुण्यदाई सेवा अभियान (न्यास) समिति के प्रांत प्रभारी रवींद्र गोयल, बीके मेहता, रविदास शर्मा, डॉ विशाल गर्ग, अशोक गुप्ता, डॉक्टर चंद्रधर काला, अवनीश गोयल, आनंद प्रकाश टुटेजा, जानकी प्रसाद लोधी सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।