जेल में रहने के बाद बाहर आने के बाद केजरीवाल ने रविवार को इस्तीफे की घोषणा की थी। वह मंगलवार शाम एलजी वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। केजरीवाल ने कहा है कि वह तब तक दोबारा सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक चुनाव जीतकर जनता से ईमानदारी का सर्टिफिकेट हासिल नहीं कर लेते हैं।
आज मंगलवार को राजधानी में हुई आप पार्टी के विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों और बड़े नेताओं ने उनके नाम का समर्थन किया।
आतिशी का नाम नए मुख्यमंत्री की लिस्ट में सबसे आगे था। इसके पीछे कारण यह था कि शराब नीति कांड में अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद दिल्ली के एक दर्जन मंत्रालय आतिशी ने संभाले। जिन मंत्रालयों को लेकर केजरीवाल को सबसे ज्यादा चिंता थी, उन्हें आतिशी ने संभाले रखा।
आतिशी कई बार जेल में केजरीवाल से मिलीं और उनका मार्गदर्शन लिया। केजरीवाल और अन्य बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी में दिल्ली की जनता से आतिशी ने ही संवाद किया। मीडिया का सामना भी किया।
केजरीवाल की नजर में आतिशी का कितना महत्व है, यह इस बात से भी साफ होता है कि उन्हें 15 अगस्त को झंडा वंदन के लिए आतिशी का नाम आगे बढ़ाया। हालांकि वे झंडा नहीं फहरा सकीं। आतिशी दिल्ली के कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है।उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली के कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार धर्मबीर सिंह को 11,422 मतों से हराया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद उन्हें सौरभ भारद्वाज के साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में दिल्ली सरकार में शामिल किया गया ।