प्रभु शिव के दरबार में परस्पर विरोधी गुणों वाले जीव मिलजुल कर रहते हैं- कथा व्यास प्रदीप गोस्वामी , शिव कथा का आठवां दिन।

धार्मिक हरिद्वार
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सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 में चल रही ग्यारह दिवस की कथा के आठवे दिवस की श्री शिव महापुराण कथा में कथा व्यास महंत श्री प्रदीप गोस्वामी जी महाराज ने सब भक्तों को संबोधित करते हुए बताया की शिव पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश जी की पावन कथा का श्रवण जीवन को धन्य कर देने वाली कथा है भगवान गणेश का प्रथम पूजन सभी विघ्नों को हरने वाला है एवं भगवान कार्तिकेय का दर्शन सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाला है।

श्री गणेश के जन्म की कथा सुनाते हुए महाराज् श्री ने कहा कि गणेश जी ने मातृ आज्ञा पालन में जैसे अपने प्राणों की चिंता नहीं कि उसी प्रकार हर संतान को मातृ-पितृ सेवी होना चाहिए।माता पिता की सेवा चारों धाम की सेवा है जो लोग माता-पिता की सेवा करते हैं संसार में उन लोगों को मनुष्यो ही नहीं देवताओं द्वारा भी पूजा जाता जाता है महाराज श्री ने बताया कि भगवान शिव का दरबार ऐसा दरबार है जहाँ पर पूरे परिवार की पूजा होती है।और कोई ऐसा देव नहीं जिसके पूरे परिवार की पूजा होती हो।भगवान शिव की पूजा,माँ पार्वती की पूजा,उनके दोनो पुत्र गणेश ओर कार्तिकेय की पूजा इतना ही नहीं उनके पुत्र वधु रिद्धि और सिद्धि की पूजा ओर तो ओर उनके पोतो शुभ ओर लाभ की पूजा होती है। शिव दरबार इतना ही नही शिव के यहा कभी वैमनस्यता नही होती।महाराज श्री कहते है की भगवान शिव का अपना वाहन क्या है-बैल,ओर माँ का वाहन क्या है-शेर्।शेर बैल को देख लेगा तो छोड़ेगा क्या पर दोनो प्रेम से रहते है ओर भगवान शिव के गले मे क्या है-सर्प् ,बड़े पुत्र का वाहन क्या है-मोर्।तो बताओ मोर सर्प को देख लेगा तो छोड़ेगा क्या।भगवान शिव के गले मे ही सर्प ओर छोटे बेटे का वाहन क्या है -चूहा।सर्प चूहें को देख ले तो छोड़ेगा क्या पर शिव दरबार मे आपस मे कभी तू-तू ,मै-मै नही होती ।ओर तो ओर भगवान शिव के माथे पे क्या है-चंद्रमा। चंद्रमा माने अमृत और शिव के कंठ मै क्या है-विष। तो जहां सर्प मोर एक साथ रहते हैं जहां सर्प चूहे के साथ रहता है जहां बेल और शेर एक साथ रहते हैं जहां अमृत और विष एक साथ रहते हैं वो ही है शिव दरबार है। शिव दरबार में कभी विषमता नहीं होती ऐसे ही मानव को अपने परिवार में समता लाने के लिए विचार करना होगा शिव कथा सुननी होगी और शिव दर्शन करना शुरू करना होगा। शिव परिवार के दर्शन से ही मिटती है परिवार की सारी दूरियां।

कथा के दौरान सभी श्रोताओं के साथ आनंद मग्न होकर इस उत्सव में सम्मिलित होकर गणेश ओर कार्तिके जी का जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम् के साथ मनाया गया।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,दिलीप गुप्ता,दिनेश उपाध्याय,अनिल चौहान,विष्णु समाधिया,मान दाता,हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान,होशियार सिंह,राम ललित गुप्ता,एल डी मेहता,मोहित तिवारी,अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता, गीता बहुगुणा ,नीरु गौतम,सुनीता चौहान,पूनम,संतोष चौहान,मंजू,रेनू,
मनसा मिश्रा,विनीता,सरला,अंजू पंत,नीता सिंगल,राजकिशोरी मिश्रा, विभा गौतम,कुसुम गेरा,संगीता मेहतो,विनोद देवी,अनपूर्णा मिश्रा,उमा राणा,विनीता देव ,बबिता,कौशल्या, मिनाक्षी आदि सहित अनेको श्रोतागण सम्मिलित हुए ।

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