श्री शिवमहापुराण कथा में छठे दिन शिव विवाह धूम धाम से मनाया गया, कथा व्यास ने शिव सती प्रकरण कथा भी सुनाई।

धार्मिक हरिद्वार
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सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 में चल रही ग्यारह दिवस की कथा के छठे दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास महंत श्री प्रदीप गोस्वामी जी महाराज जी ने सब भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि शिव और सती चरित्र कथा में मां सती यदि श्री राम चरित्र पर संशय करती हैं तो भी हमें भगवान के किसी चरित्र पर संशय नहीं करना चाहिए क्योंकि माता सती शिव की पराशक्ति है वह तो भगवान के वास्तविक स्वरूप का दर्शन कराना चाहती हैं देह त्याग के द्वारा सती जी सांसारिक मोह भंग की लीला करती हैं।कथा व्यास जी ने बताया की सती के यज्ञ में कूदकर आत्मदाह करने के पश्चात भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए उधर माता सती ने हिमालय और मैना रानी के यहां पर पार्वती के रूप में जन्म लिया।व्यास जी बताया की उस समय तारकासुर नाम के एक असुर का बहुत ही आतंक था जिससे देवता गण उससे बहुत ही भयभीत रहते थे।
तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव की संतान ही कर सकती है. उस समय भी भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे. तब सभी देवताओं ने मिलकर शिव और पार्वती के विवाह की योजना बनाई. भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा गया लेकिन वह भस्म हो गए देवताओं की विनती पर शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के लिए राजी हुए. विवाह की बात तय होने के बाद भगवान शिव जी बारात की तैयारी हुई। सांसारिक व्यक्ति बारात में जाने से पहले श्रृंगार करता है सभी प्रकार के द्रवो को अपने शरीर पर लगाता है जिससे की ऐसा सुंदर वर लगे जैसा ओर कोई ना। परन्तु भगवान् शिव शमशान की भस्म का धारण करके सुंदर दिखना चाहते है तथा सांसारिक व्यक्तियों को ये संदेश देना चाहते है की दुनिया के कितने भी द्रवो को लगाए वह एक दिन अवश्य ही मीट जाएंगे परन्तु चिता की भस्म ही अंतिम सत्य है ।यदि इस बात को याद रखकर् जीये तो जीवन सत्य बन जायेगा। तथा संसार मे सत्य शिवम् सुंदरम कहलाएँगे।महाराज जी ने कथा को आगे सुनाते हुए बताया कि शिव जी की बारात में देवता, दानव, गण, जानवर सभी लोग शामिल हुए. भगवान शिव की बारात में भूत पिशाच भी पहुंचे. ऐसी बारात को देखकर पार्वती जी की मां बहुत डर गईं और कहा कि वे ऐसे वर को अपनी पुत्री को नहीं सौंप सकती हैं. तब देवताओं ने भगवान शिव को परंपरा के अनुसार तैयार किया, सुंदर तरीके से श्रृंगार किया इसके बाद दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ.
इस प्रकार माता पार्वती और शिवजी का विवाह संपन्न हुआ। शिव विवाह को मंदिर प्रांगण में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया ।कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,राकेशमालवीय,तेजप्रकाश,राम मोहित,दिलीप गुप्ता,आदित्य गहलोत,मोहित तिवारी,दिनेश उपाध्याय,अनिल चौहान,विष्णु समाधिया,मान दाता,दिलीप गुप्ता, आदित्य गहलोत
हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान,होशियार सिंह,अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता,नीरु गौतम,सुनीता चौहान,पूनम, संतोषचौहान,मंजू,रेनू,
मनसा मिश्रा, गीता बहुगुणा,विनीता,सरला,
राजकिशोरी मिश्रा,विभा गौतम,कुसुम गेरा,संगीता महातो,विनोद देवी,अनपूर्णा मिश्रा,उमा राणा,बबिता,कौशल्या, मिनाक्षी और अनेको श्रोतागण सम्मिलित हुए ।

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