श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस में धूमधाम से संपन्न हुआ राम-जानकी विवाह महोत्सव।

धार्मिक हरिद्वार
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संसार रूपी भवसागर को पार करने में रामनाम की नौका काफी: डॉ रामविलास दास वेदांती
श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा में श्रीराम के जयघोष के साथ धूमधाम से संपन्न हुआ राम-जानकी विवाह महोत्सव

हरिद्वार।‌ कथावाचक हिंदू धाम संस्थापक एवं वशिष्ठ भवन पीठाधीश्वर महंत ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा रामकथा सुनने से जिंदगी का बेड़ा पार हो जाता है और प्राणियों का उद्धार होता है, जो लोग इस संसार रूपी भवसागर से पार पाना चाहते हैं उसके लिए सिर्फ राम नाम की नौका काफी है। बस एक बार आप भगवान के नाम पर विश्वास करके देखिए, प्रभु श्री राम आपको हर दुखों से पार कर देंगे।

हरिद्वार की पावन भूमि पर प्रेमनगर आश्रम में चल रही संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान राम -जानकी विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं माता सीता और प्रभुराम को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पूरा पंडाल रामनाम के जयकारों से गूंज गया। भगवान राम और मैया, सीता, भरत लक्ष्मण की झांकी देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी ‌ वहीं कथा व्यास डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने भजनों के माध्यम से सीता- राम विवाह का सुंदर चित्रण कर लोगों के मन मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अहिल्या उद्धार के बाद राम जनकपुर की सीमा पर पहुंचे। तब विश्वामित्र को सीता स्वयंवर और धनुष यज्ञ का समाचार मिला। विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर पहुंचे। राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा था। उनके विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते समय धनुष को उठाकर दूसरी जगह रखा। इसे देखकर जनक आश्चर्यचकित हुए, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का स्वयंवर होगा। स्वयंवर की निर्धारित तिथि पर सभी देश के राजा और महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। धनुष को उठाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। धनुष टूटने का प्रसंग टूटते ही पंडाल में जय श्री राम के जयघोष लगे। स्वयंवर में भगवान राम ने शिव धनुष को तोड़ा और सीता ने उन्हें अपने पति के रूप में चुना। स्वयंवर के करीब एक माह के उपरांत राजा दशरथ के बारात लेकर जनकपुर पहुंचने राम-सीता का विधिवत विवाह हुआ। भगवान राम के साथ भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला, शत्रुघ्न -यशकीर्ति का भी विवाह संपन्न हुआ। विवाह के बाद कई दिन पूरी बारात जनकपुर में ही रही। कथा में डॉ राघवेश दास वेदांती महाराज, भाजपा के नगर विधायक एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड मदन कौशिक, आरएसएस प्रमुख रोहतास सिंह, अमित गौतम, डॉ विशाल गर्ग, सुनील सिंह, सीए आशुतोष पांडेय, वरिष्ठ समाजसेवी एवं भाजपा नेत्री रंजीता झा, बृजभूषण तिवारी, पुरुषोत्तम लाल अग्रवाल, मुरारी पांडेय, अमित गोयल, आकाश तिवारी, अमित साही, धनंजय सिंह, चंदन सिंह, कमलेश सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, संतोष झा, अपराजिता सिंह, नीलम राय , सोनी राय, अपराजिता सिंह, रश्मि झा, अलका वर्मा, निक्की मोदक पाल, सरोज यादव, नीतू वार्ष्णेय, किरण देवी, किशोरी झा, सोनी झा, सुलोचना देवी, हरिनारायण त्रिपाठी, रामनवल पांडेय, सहदेव शर्मा, सरोज शर्मा, चंद्रमणि राय, सुधा राठौड़, अर्चना झा, संतोष झा सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें।

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