उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद अब राज्य में निकाय चुनावों की आहट शुरू हो गई है। निकाय चुनाव की घोषणा जून में हो सकती हैं। यहाँ नगर निकायों का कार्यकाल गत एक दिसंबर को खत्म हो चुका है। एक जून तक निकाय प्रशासकों के हवाले हैं।
चुनाव में देरी को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे केस में अगली सुनवाई मई प्रथम सप्ताह तक होनी है जिसमें सरकार को अपनी चुनावी तैयारी पेश करनी है।
नैनीताल हाईकोर्ट में नगर निकायों के चुनाव कराने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। चुनाव समय के भीतर हो जाएंगे। पूर्व में निर्धारित समयावधि छह माह के भीतर नगर निकाय की चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। महाधिवक्ता की ओर से दिए गए इस वक्तव्य के बाद मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं को निस्तारित कर दिया।
शहरी विकास विभाग अब एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सभी स्तर पर ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को ऐक्ट में संशोधन की तैयारी कर रहा है। इसके बाद ही वार्ड वार आरक्षण घोषित हो पाएगा। आरक्षण प्रक्रिया जून प्रथम सप्ताह तक पूरी होने की संभावना है। इसके बाद शासन निर्वाचन आयोग को चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर सहमति दे सकता है। इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग 93 निकायों की वोटर लिस्ट भी तैयार कर चुका है।
जसपुर निवासी मोहम्मद अनस, नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य में निकायों में प्रशासक नियुक्त करने को चुनौती देते हुए शीघ्र निकाय चुनाव कराए जाने की मांग की थी। हाईकोर्ट के आदेश 9 जनवरी 2024 के अनुसार महाधिवक्ता ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी हो जाएगी और निकायों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल उत्तराखंड नगर पालिका अधिनियम, 1916 की धारा 10 ए (4) के तहत छह माह की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जाएगा।
इन याचिकाओं की सुनवाई 16 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की। अब संभावना है कि जून माह में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी।