विज्ञान दिवस पर विशेष
डॉ राजेश सिंह ने विज्ञान से सम्बन्धित 500 पेटेंट करवाकर किया उत्तराखंड का नाम रोशन ।
मां के स्नेह आंचल की छांव में प्रोफ़ेसर डॉ राजेश सिंह की समाज व शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान इनकी अपनी काबलियत व इनकी बेबाकियों के कारण से है। प्रोफेसर डॉ राजेश सिंह का जन्म उत्तराखंड राज्य के जिला देहरादून, विकास खंड सहसपुर,ग्राम मजोन(पौंधा) में हुआ। मात्र 4 वर्ष की आयु में पिता की अचानक मृत्यु हो जाना परिवार के लिए एक बड़ा आघात था। तब माता जी ने पहाड़ जैसी विषम परिस्थितियों में ना जाने कितने कष्टों को सहकर इनका व इनके भाईयों व बहनों का लालन पालन किया। चाहे नदी के तेज बहाव के बीच स्कूल पहुंचना हो,खेती किसानी करते हुवे परिवार की जिम्मेदारी में सहभागी बनना हो या आभावों के कारण आवश्यकता होने पर भी कई बार मौन रहना हो ऐसी परिस्थितियों में भी इन्होंने कभी समझौता न कर अपने जनुन से महत्त्वपूर्ण मुकाम हासिल कर समाज को राह दिखाने को कार्य किया। चुकी इनकी माता जी धार्मिक भावनाओं वाली एक घरेलू महिला हैं इसी कारण माता जी की आध्यात्म व धार्मिक आस्था का प्रभाव इनके व्यक्तित्व विकास में सहायक रहा। डॉ राजेश सिंह बचपन से ही बहुत संकोची व चुप रहने वाले रहे। इनके अंदर परिवार की अवधारणा गहराई तक रची बसी है। यही कारण है कि इतने अहम पद पर रहने के उपरांत भी अपनी माता जी, भाई व बहनों से मिलने व्यस्तम समय में भी जाते हैं । कई बार पारिवारिक सदस्यों के लिए उनके पसंद का भोजन भी स्वयं ही बनाकर उन्हें खिलाते हैं। डॉ राजेश सिंह की पत्नी व दो जुड़वा बेटियां इनके परिवार का हिस्सा हैं। प्रोफ़ेसर डॉ राजेश सिंह एक होनहार छात्र रहे हैं। ये जरूरत मंदो की मदद करना पसंद करते हैं, इनका मानना है कि कई बार उनको भी कई लोगों की मदद मिली है। डॉ राजेश सिंह चुकी पहाड़ी ग्रामीण परिवेश से संबंध रखते हैं इसीलिए इनका चिंतन ग्रामीण समस्याएं, उनका समाधान व विकास पर ज्यादा रहता है। इसीलिए इनके ज्यादातर इनोवेशन नीड़ बेस व जनोपयोगी रहे हैं। डॉ राजेश सिंह गाते बहुत अच्छा है, अपनी माता जी की छत्र – छाया में ही प्रोफेसर डॉ राजेश सिंह की शिक्षा- दीक्षा देहरादून में ही पूरी हुई। पी एच डी , एम टेक गोल्ड मेडलिस्ट, डारेक्टर डिवीजन एंड रिसर्च इनोवेटर है। 39 इंडियन पेटेंट,63 इंटरनेशनल पेटेंट,500 इंडियन पेटेंट पब्लिश हो चुके हैं। इनको 5 इंटरनेशनल कॉपीराइट ग्रांट व 50 इंडियन कॉपीराइट ग्रांट प्राप्त हो चुके हैं। इनके द्वारा अभी तक 17 बच्चों को पी एच डी करवाई जा चुकी है व 7 लोगों के ये स्टार्टअप मेंटर हैं। डॉ राजेश अंतर्राष्ट्रीय कोलोब्रेशन में भी हैं। इनको कई जगह से रिसर्च हेतु रिसर्च ग्रांट प्राप्त हैं। अनेकों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जिसमें मुख्य रूप से राष्ट्रपति भवन में गांधीयन यंग टेक्नोलॉजिकल अवॉर्ड 2018, यंग इन्वेसिटिकेटर अवॉर्ड 2012, 2009 में गोल्ड मेडल मिल चुका है। ये 37 रिसर्च पेपर व पुस्तकें अभी तक लिख चुके हैं। इनके भारतीय एवं विदेशी मीडिया में अनेकों लेख व साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं। ये इंटरनेशन मेंटर आफ द स्टूडेंट हैं।इनके कई छात्रों भारत से लेकर टेक्साल तक अपनी काबिलियत के ध्वजवाहक बने हैं। इन्होंने असंख्य स्थानों पर सेशन व लेक्चर देकर छात्र- छात्राओं को लाभान्वित किया है। वर्तमान में ये उत्तरांचल टेक्निकल यूनिवर्सिटी में निदेशक के पद को सुशोभित कर रहे हैं। इससे पहले ये उत्तराखंड पेट्रोलियम युनिवर्सटी व लवली प्रोफेशनल युनिवर्सटी में भी कई वर्षों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इन्होंने कोरोना जैसे आपात काल में अपने उपयोगी इनोवेशन से जो जनमानस की सेवा की है वो अविस्मरणीय है। इनके महत्त्वपूर्ण इनोवेशन से अनेकों छात्र न केवल धनाढ्य बने बल्कि इनके व अपने कार्यों की ख्याति दूर दूर तक फैलाई। इनके ज्यादातर इनोवेशन नीड़ बेस व जन उपयोगी रहे हैं। इसी आधार पर यह कहना ग़लत ना होगा कि डॉ राजेश सिंह जन-जन के जमीनी वैज्ञानिक हैं।