चार जगह पर झूठ बोलने का पाप नहीं लगता बताया तथा कथा व्यास आचार्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी ने। वहीं स्वामी सत्यदेव जी ने कहा भक्ति ऐसी हो कि भगवान खुद चलकर आए।
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नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की झूम झूम कर नाचने लगे श्रद्धालुओं ने मनाया भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव। आज कपिल परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद् गवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रसंग सुनाया गया इससे पूर्व कथा व्यास आचार्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन किया ।
आज भागवत कथा के चौथे दिन क्षेत्र के प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी सत्यदेव महाराज भी पधारे उन्होंने कथा व्यास शास्त्री जी का अभिनंदन किया सत्यदेव जी ने प्रेम और भक्ति की परिकथा का वर्णन करते हुए कहा की भक्ति ऐसी हो कि भगवान शिव चलकर आए उन्होंने जटायू और शबरी के उदाहरण देते हुए बताया की प्रभु उनसे मिलने खुद पहुंचे उनके गए भजन पर श्रोता गदगद हो गए। कथा व्यास आचार्य शास्त्री जी ने कहा चार जगह झूठ बोलने पर पाप नहीं लगता पहले पत्नी से हास-परिहास के दौरान, दूसरा अपने प्राणों की रक्षा के लिए ,तीसरा गौ या ब्राह्मण की रक्षा के लिए, चौथा अपने धन या कारोबार की रक्षा के लिए बोले गए झूठ पर पाप नहीं लगता शेष झूठ बोलने से बचना चाहिए।श्रीमद्भागवत कथा चतुर्थ दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। उसके राज्य में प्रजा बहुत खुश और समृद्ध थी। उसको उसके पितामह प्रहलाद और गुरु शुक्राचार्य ने वेदों का ज्ञान दिया था।
समुद्रमंथन के दौरान जब देवता अमृत ले जा रहे थे तब इंद्रदेव ने बाली को मार दिया था जिसको शुक्राचार्य ने पुनः अपन मन्त्रो से जीवित कर दिया था। महाबली ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। बाली भगवान ब्रह्मा के आगे नतमस्तक होकर बोला “प्रभु, मै इस संसार को दिखाना चाहता हूँ कि असुर अच्छे भी होते हैं। मुझे इंद्र के बराबर शक्ति चाहिए और मुझे युद्ध में कोई पराजित ना कर सके।” भगवान ब्रह्मा ने इन शक्तियों के लिए उसे उपयुक्त मानकर बिना प्रश्न किये उसे वरदान दे दिया। शुक्राचार्य एक अच्छे गुरु और रणनीतिकार थे जिनकी मदद से बली ने तीनो लोकों पर विजय प्राप्त कर ली। बाशली ने इंद्रदेव को पराजित कर इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया। एक दिन गुरु शुक्राचार्य ने बली से कहा अगर तुम सदैव के लिए तीनो लोकों के स्वामी रहना चाहते हो तो तुम्हारे जैसे राजा को अश्वमेध यज्ञ अवश्य करना चाहिए। बाली अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए यज्ञ की तैयारी में लग गया। बली एक उदार राजा था जिसे सारी प्रजा पसंद करती थी। इंद्र को ऐसा महसूस होने लगा कि बली अगर ऐसे ही प्रजापालक रहेगा तो शीघ्र सारे देवता भी बली की तरफ हो जायेंगे। इंद्रदेव देवमाता अदिति के पास सहायता के लिए गए और उन्हें सारी बात बताई। देवमाता ने बिष्णु भगवान से वरदान माँगा कि वे उनके पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लेकर बली का विनाश करें। जल्द ही अदिति और ऋषि कश्यप के यहाँ एक सुंदर बौने पुत्र ने जन्म लिया। पांच वर्ष का होते ही वामन का जनेऊ समारोह आयोजित कर उसे गुरुकुल भेज दिया। इस दौरान महाबली ने 100 में से 99 अश्वमेध यज्ञ पुरे कर लिए थे। अंतिम अश्वमेध यज्ञ समाप्त होने ही वाला था कि तभी दरबार में दिव्य बालक वामन पहुँच गया। महाबली ने कहा कि आज वो किसी भी व्यक्ति को कोई भी दक्षिणा दे सकता है। तभी गुरु शुक्राचार्य ने महाबली को बताया कि ये बालक ओर कोई नहीं स्वयं भगवान विष्णु हैं वो इंद्रदेव के कहने पर यहाँ आए हैं और अगर तुमने इन्हें जो भी मांगने को कहा तो तुम सब कुछ खो दोगे। महाबली अपनी बात पर अटल रहे और कहा मुझे वैभव खोने का भय नहीं है बल्कि अपने प्रभु को खोने का है इसलिए मै उनकी इच्छा पूरी करूंगा। महाबली उस बालक के पास गया और स्नेह से कहा “आप अपनी इच्छा बताइये”। उस बालक ने महाबली की और शांत स्वभाव से देखा और कहा “मुझे केवल तीन पग जमीन चाहिए जिसे मैं अपने पैरों से नाप सकूं” । महाबली ने हँसते हुए कहा “केवल तीन पग जमीन चाहिए, मैं तुमको दूँगा।” जैसे ही महाबली ने अपने मुँह से ये शब्द निकाले वामन का आकार धीरे धीरे बढ़ता गया। वो बालक इतना बढ़ा हो गया कि बाली केवल उसके पैरों को देख सकता था। वामन आकार में इतना बढ़ा था कि धरती को उसने अपने एक पग में माप लिया। दुसरे पग में उस दिव्य बालक ने पूरा आकाश नाप लिया। अब उस बालक ने महाबली को बुलाया और कहा मैंने अपने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया है। अब मुझे अपना तीसरा कदम रखने के लिए कोई जगह नहीं बची, तुम बताओ मैं अपना तीसरा कदम कहाँ रखूँ। महाबली ने उस बालक से कहा “प्रभु, मैं वचन तोड़ने वालों में से नहीं हूँ आप तीसरा कदम मेरे शीश पर रखिये।” भगवान विष्णु ने भी मुस्कुराते हुए अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रख दिया। वामन के तीसरे कदम की शक्ति से महाबली पाताल लोक में चला गया। अब महाबली का तीनो लोकों से वैभव समाप्त हो गया और सदैव पाताल लोक में रह गया। इंद्रदेव और अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रशंशा की और धन्यवाद दिया। इसके बाद आचार्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी और पूज्य महाराज सत्यदेव जी के सानिध्य में सभी भक्तों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया। दश को कृष्ण बनकर पंडाल में लाया गया राहुल और मानसी ने नंद बाबा और यशोदा मैया बनकर कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया।आज।नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की झूम झूम कर नाचने लगे श्रद्धालुओं ने मनाया भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव। आज कपिल परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रसंग सुनाया गया इससे पूर्व कथा व्यास आचार्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन किया । आज भागवत कथा के चौथे दिन क्षेत्र के प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी सत्यदेव महाराज भी पधारे उन्होंने कथा व्यास शास्त्री जी का अभिनंदन किया सत्यदेव जी ने प्रेम और भक्ति की परिकथा का वर्णन करते हुए कहा की भक्ति ऐसी हो कि भगवान शिव चलकर आए उन्होंने जटायू और शबरी के उदाहरण देते हुए बताया की प्रभु उनसे मिलने खुद पहुंचे उनके गए भजन पर श्रोता गदगद हो गए। कथा व्यास आचार्य शास्त्री जी ने कहा चार जगह झूठ बोलने पर पाप नहीं लगता पहले पत्नी से हास-परिहास के दौरान, दूसरा अपने प्राणों की रक्षा के लिए ,तीसरा गौ या ब्राह्मण की रक्षा के लिए, चौथा अपने धन या कारोबार की रक्षा के लिए बोले गए झूठ पर पाप नहीं लगता शेष झूठ बोलने से बचना चाहिए।श्रीमद्भागवत कथा चतुर्थ दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। उसके राज्य में प्रजा बहुत खुश और समृद्ध थी। उसको उसके पितामह प्रहलाद और गुरु शुक्राचार्य ने वेदों का ज्ञान दिया था।
समुद्रमंथन के दौरान जब देवता अमृत ले जा रहे थे तब इंद्रदेव ने बाली को मार दिया था जिसको शुक्राचार्य ने पुनः अपन मन्त्रो से जीवित कर दिया था। महाबली ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। बाली भगवान ब्रह्मा के आगे नतमस्तक होकर बोला “प्रभु, मै इस संसार को दिखाना चाहता हूँ कि असुर अच्छे भी होते हैं। मुझे इंद्र के बराबर शक्ति चाहिए और मुझे युद्ध में कोई पराजित ना कर सके।” भगवान ब्रह्मा ने इन शक्तियों के लिए उसे उपयुक्त मानकर बिना प्रश्न किये उसे वरदान दे दिया। शुक्राचार्य एक अच्छे गुरु और रणनीतिकार थे जिनकी मदद से बली ने तीनो लोकों पर विजय प्राप्त कर ली। बाशली ने इंद्रदेव को पराजित कर इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया। एक दिन गुरु शुक्राचार्य ने बली से कहा अगर तुम सदैव के लिए तीनो लोकों के स्वामी रहना चाहते हो तो तुम्हारे जैसे राजा को अश्वमेध यज्ञ अवश्य करना चाहिए। बाली अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए यज्ञ की तैयारी में लग गया। बली एक उदार राजा था जिसे सारी प्रजा पसंद करती थी। इंद्र को ऐसा महसूस होने लगा कि बली अगर ऐसे ही प्रजापालक रहेगा तो शीघ्र सारे देवता भी बली की तरफ हो जायेंगे। इंद्रदेव देवमाता अदिति के पास सहायता के लिए गए और उन्हें सारी बात बताई। देवमाता ने बिष्णु भगवान से वरदान माँगा कि वे उनके पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लेकर बली का विनाश करें। जल्द ही अदिति और ऋषि कश्यप के यहाँ एक सुंदर बौने पुत्र ने जन्म लिया। पांच वर्ष का होते ही वामन का जनेऊ समारोह आयोजित कर उसे गुरुकुल भेज दिया। इस दौरान महाबली ने 100 में से 99 अश्वमेध यज्ञ पुरे कर लिए थे। अंतिम अश्वमेध यज्ञ समाप्त होने ही वाला था कि तभी दरबार में दिव्य बालक वामन पहुँच गया। महाबली ने कहा कि आज वो किसी भी व्यक्ति को कोई भी दक्षिणा दे सकता है। तभी गुरु शुक्राचार्य ने महाबली को बताया कि ये बालक ओर कोई नहीं स्वयं भगवान विष्णु हैं वो इंद्रदेव के कहने पर यहाँ आए हैं और अगर तुमने इन्हें जो भी मांगने को कहा तो तुम सब कुछ खो दोगे। महाबली अपनी बात पर अटल रहे और कहा मुझे वैभव खोने का भय नहीं है बल्कि अपने प्रभु को खोने का है इसलिए मै उनकी इच्छा पूरी करूंगा। महाबली उस बालक के पास गया और स्नेह से कहा “आप अपनी इच्छा बताइये”। उस बालक ने महाबली की और शांत स्वभाव से देखा और कहा “मुझे केवल तीन पग जमीन चाहिए जिसे मैं अपने पैरों से नाप सकूं” । महाबली ने हँसते हुए कहा “केवल तीन पग जमीन चाहिए, मैं तुमको दूँगा।” जैसे ही महाबली ने अपने मुँह से ये शब्द निकाले वामन का आकार धीरे धीरे बढ़ता गया। वो बालक इतना बढ़ा हो गया कि बाली केवल उसके पैरों को देख सकता था। वामन आकार में इतना बढ़ा था कि धरती को उसने अपने एक पग में माप लिया। दुसरे पग में उस दिव्य बालक ने पूरा आकाश नाप लिया। अब उस बालक ने महाबली को बुलाया और कहा मैंने अपने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया है। अब मुझे अपना तीसरा कदम रखने के लिए कोई जगह नहीं बची, तुम बताओ मैं अपना तीसरा कदम कहाँ रखूँ। महाबली ने उस बालक से कहा “प्रभु, मैं वचन तोड़ने वालों में से नहीं हूँ आप तीसरा कदम मेरे शीश पर रखिये।” भगवान विष्णु ने भी मुस्कुराते हुए अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रख दिया। वामन के तीसरे कदम की शक्ति से महाबली पाताल लोक में चला गया। अब महाबली का तीनो लोकों से वैभव समाप्त हो गया और सदैव पाताल लोक में रह गया। इंद्रदेव और अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रशंशा की और धन्यवाद दिया। इसके बाद आचार्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी और पूज्य महाराज सत्यदेव जी के सानिध्य में सभी भक्तों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया। दर्श को कृष्ण बनाकर पंडाल में लाया गया राहुल और मानसी ने नंद बाबा और यशोदा मैया बनकर कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया।मुख्य यजमान अनिल कपिल, सुभाष कपिल,दिलीप कपिल, हर्ष कपिल सहित , माया भाटी, गीता,पूनम भट्ट, शेफाली भट्ट, सुधा सतलेवाल,उमा बत्रा, चमन लाल खट्टर, नीलम खट्टर , उरमन मदान ,रेखा मदान ,नीलम मदान ,पूनम अरोड़ा, हर्ष अरोड़ा, विकल राठी,राज कुमारी, राम कुमारी,सरिता अरोड़ा, सारिका सचदेवा, सुषमा गंभीर शालू गंभीर सावित्री बाधवा, टीना बाधवा,अल्का ,टीना कपिल ,विमला भट्ट, पिंकी भट्ट,सीता शर्मा सीमा कपिल अनुराधा कपिल सुनीता कपिल नीलम कपिल इशिका कपिल देव कपिल, रीता कपिल ,स्वर्ण कांता, जितेंद्र शर्मा, संतोष शर्मा, कृष्णा बोस, शशि सूरी सत्यवती शर्मा आदि उपस्थित रहे। भागवत कथा के पांचवें दिन 22 फरवरी को भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन 22 फरवरी को भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।