सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर समिति सेक्टर 1 भेल हरिद्वार द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं शिवभक्त।कथा व्यास पंडित उमेश चंद्र शास्त्री ने आज भगवान शिव की महिमा बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने माता पिता की सेवा नहीं करता है वह चाहे किसी भी तीर्थ की यात्रा कर ले चाहे जितनी तपस्या कर ले चाहे जितना हवन कर ले उसको कभी भी शांति प्राप्त नहीं हो सकती भगवान की प्राप्ति तो बहुत दूर की बात है अतः यह ज्ञान आपके अंदर कैसे आएगा उसके लिए शिव कथा सुननी पड़ेगी क्योंकि शिव कथा सुनने वाले व्यक्ति की मुक्ति निश्चित होती है अर्थात वह शिव धाम को चला जाता है एक बार भगवान शिव और माता पार्वती बैठे थे तब माता पार्वती ने शंकर जी से कहा कि सभी देवता मुझे बढ़ा कहते रहते हैं कि आपका पास ना कोई घर ना कोई ठिकाना है अतः आप मेरे लिए महल का निर्माण कर दो तब भगवान शिव ने पूछा कि कैसा महल चाहिए तो माता पार्वती ने कहा कि सोने का महल चाहिए तब शंकर जी ने विश्वकर्मा जी को बोलकर सोने के महल का निर्माण कराया और जब मुहूर्त का समय आया तब यह विचार मन में आया कि पंडित कौन होगा
विश्रवा ऋषि को आचार्य नियुक्त किया गया।गृहप्रवेश के बाद महादेव ने आचार्य से दक्षिणा मांगने को कहा। महादेव की माया से विश्रवा का मन उस नगरी पर ललचा गया था इसलिए उन्होंने महादेव से दक्षिणा के रूप आया सोने की लंका को ही मांग लिया।
महादेव ने विश्रवा को लंकापुरी दान कर दी। पार्वती जी को विश्रवा की इस धृष्टता पर बड़ा क्रोध आया। उन्होंने क्रोध में आकर शाप दे दिया कि तूने महादेव की सरलता का लाभ उठाकर मेरे प्रिय महल को हड़प लिया है।
मेरे मन में क्रोध की अग्नि धधक रही है। महादेव का ही अंश एक दिन उस महल को जलाकर कोयला कर देगा और उसके साथ ही तुम्हारे कुल का विनाश आरंभ हो जाएगा।
कथा श्रुति के अनुसार विश्रवा से वह सोने की लंका पुत्र कुबेर को मिली लेकिन रावण ने कुबेर को निकाल कर लंका को हड़प लिया। शाप के कारण आगे चलकर शिव के अवतार हनुमान जी ने लंका जलाई।
अर्थात कथा कहती है कि जो प्रारंब्ध में लिखा है वही मिलेगा उससे अधिक नहीं मिल सकता लेकिन प्रारंब्ध का परिवर्तन का अधिकार केवल शिव भोले को है अतः शंकर की शरण में जाने पर आपको सब कुछ मिलेगा केवल समर्पण भाव की आवश्यकता है
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा कथा के मुख्य यजमान राजीव ओर मीनाक्षी,जयप्रकाश,आदित्य गहलोत,राकेश मालवीय,रामकुमार,तेजप्रकाश,दिलीप गुप्ता,अनिल चौहान,सुनील चौहान,महेश, विष्णु,मानदाता,होशियार सिंह,चंद्रभान,दिनेश,मूला सिंह,अलका,संतोष,पुष्पा,कुसुम,सरला,अंजू,मंजू,डोली,विभा गौतम,भावना,अनपूर्णा,राजकिशोरी मिश्रा,रेनू शर्मा,अर्चना,कौशल्या,सुमन विनोद देवी अनेको श्रोता उपस्थित रहे।