शिव मंदिर समिति सेक्टर वन के द्वारा आयोजित श्री राम जानकी कथा के पांचवे दिवस की कथा मे कथा व्यास महंत प्रदीप गोस्वामी जी महाराज जी ने कहा कि जब भगवान श्री राम चंद्र जी ने धनुष तोड़ दिया तब सीता माता जी श्री राम जी के गले में वरमाला डालने आई परंतु श्री राम जी का कद लम्बा होने के कारण उनके गले में वरमाला नहीं डाल पायी। यह सब देख लक्ष्मण ने सोचा कि आज माता सीता अर्थात् भक्ति का साथ देने का समय आ गया है तभी लक्ष्मण जी ने राम जी के चरण पकड़ लिए ओर जैसे ही राम जी लक्ष्मण को उठाने के लिए नीचे झुके वैसे हीं माता सीता ने श्री राम जी के गले मे वर मला डाल दी।इस कथा से ये शिक्षा मिलती है कि आज भक्ति के सामने भगवान् को झुकना पड़ता है।अतः भक्ति यदि श्रेष्ठ होगी तो भगवान् के दर्शन अवश्य ही होंगे। कथा व्यास जी प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहते है इस प्रकार जनक जी ने विवाह पत्रिका अयोध्या भिजवाई। दूत जब पत्रिका लेकर अयोध्या गये तब राजा दशरथ ने विवाह पत्रिका सभी के सामने पढ़कर सुनाई तथा राम जानकी के विवाह की सूचना सभी को दी और बारात जनकपुर् के लिए रवाना हुई जिसमे सभी भाई , नगर के सभी स्त्री-पुरुष बरात में शामिल हुए और जनकपुर की तरफ प्रस्थान किया।ये कथा कहती है कि वही कार्य श्रेष्ठ होता है जिसमें सभी की सहमति होती है।उसी मे ही सबकी प्रसंता होती है पूरी अयोधया की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि सबके प्रिय श्री राम जी का विवाह उत्सव था। बरात का स्वागत बड़ी ही धूमधाम के साथ किया गया।ओर चारों भाइयों का विवाह बड़ी ही धूम-धाम के साथ संपन्न होता है।यही से हीं बारात ले जाने का प्रारम्भ हुआ है।माता जानकी की विदाई के समय राजा जनक व माता सुनयना सीता माता को समझाते हुए कहती हैं की पुत्री एक कुल की रक्षा नहीं करती अपितु दोनों कुल की रक्षा करती है सदा ही अपने पति की सेवा करना, अपने सास-ससुर की सेवा करना उनकी आज्ञा के बिना एक कदम भी घर से बाहर मत रखना और यह कह कर बिलख-२ कर रोने लगी। सीता माता ने अपने घर तोता – मैना भी पाल रखे थे वह भी सीता के वियोग में आज रो रहे हैं उनको भी एहसास है कि आज माता माता कहीं जा रही है अतः कथा यह बताती है कि आज भारतीय संस्कृति तभी बचेगी जब हम अपनी बेटियों को धर्म का पाठ पढ़ाएंगे क्योंकि जीवन में जो महत्वपूर्ण भूमिका होती है वह एक स्त्री की होती है यदि अपनी बेटियों को धर्म का पाठ नहीं पढ़ाएंगे तो यह संस्कृति अपने देश से विलुप्त हो जाएगी और विनाश होने से कोई नहीं बचा पायेगा।बरात का वर्णन बहुत ही मार्मिक रूप से किया गया श्री राम जानकी विवाह के उपरांत सभी लोग अयोध्या वापस लौट आये।
कथा के मुख्य यजमान हरेंद्र मौर्य और ललिता मौर्य,ब्रिजेश शर्मा,जय प्रकाश,राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,
अनिल चौहान ,सुनील चौहान,होशियार सिंह,विष्णु समाधिया,महेश तिवारी,मानदाता,मोहित शर्मा,हरिनारायण त्रिपाठी,
एल.डी.मेहता,संतोष कुमार,अशोक सिंगल,सुरेश पाठक,उदभव् मुकेश,नीता सिंगल,
लीना,अलका शर्मा,संतोष चौहान,
सरला शर्मा,अनपूर्णा,राजकिशोरी मिश्रा,सुमन,कौशल्या,रेनु,बृजलेस(बबली)आदि लोग उपस्थित हुए।