उत्तराखंड के चार धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई , श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट सबसे बाद होंगे बंद।

उत्तराखंड चार धाम यात्रा

भू- बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष मंगलवार 25 नवंबर को शाम 2 बजकर 56 मिनट पर बंद होंगे। आज विजय दशमी के पावन पर्व पर उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चार धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई।
श्री केदारनाथ धाम के 23 अक्टूबर 2025 व द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर तथा तृतीय केदार श्री तुंगनाथ जी के कपाट 6 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे।

श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज 23 अक्टूबर तथा श्री गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट गोवर्धन पूजा के अवसर पर 22 अक्टूबर अभिजीत मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद हो रहे है।बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी की उपस्थिति में बदरीनाथ मंदिर परिसर में आयोजित समारोह में कपाट बंद की तिथि की हुई घोषणा।

विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार 25 नवंबर को अपराह्न 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे । कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत 21 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू होंगी।आज विजय दशमी के अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद रहे । बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती एवं बीकेटीसी सदस्यों मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल हकहकूकधारियों तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में आयोजित भव्य धार्मिक समारोह में रावल अमरनाथ नंबूदरी ने कपाट बंद की तिथि की घोषणा की इससे पहले धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेदपाठी रविंद्र भट्ट , अमित बंदोलिया ने पंचांग गणना पश्चात तिथि का विनिश्चय किया।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कपाट बंद होने की तिथि तय होने के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में अपने संबोधन तीर्थयात्रियों,हकहकूकधारियो को बधाई दी। कहा कि आपदा के बाद दूसरे चरण की यात्रा हेतु अभी एक माह का समय शेष है कहा कि मानसून की आपदा के बावजूद अभी तक – 1420357 से अधिक तीर्थयात्रियों ने श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन कर लिए है तथा 1602420 से अधिक ने केदारनाथ धाम के दर्शन किये है इस तरह दोनों धामों में 3022777 से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन कर लिए है समारोह को बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती तथा वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित एवं बीकेटीसी सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने भी संबोधित किया।

कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंचपूजाओं के पहले दिन 21 नवंबर को भगवान गणेश की पूजा होगी।शाम को इसी दिन भगवान गणेश के कपाट बंद होंगे।
दूसरे दिन 22 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर तथा शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। तीसरे दिन 23 नवंबर को खडग – पुस्तक पूजन तथा वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जायेगा।चौथे दिन 24 नवंबर मां लक्ष्मी जी को कढाई भोग चढाया जायेगा 25 नवंबर को 2 बजकर 56 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे। 26 नवंबर को श्री कुबेर जी एवं उद्धव जी सहित रावल जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ को प्रस्थान करेगी।

श्री केदारनाथ धाम तथा श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज 23 अक्टूबर तथा श्री गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट गोवर्धन पूजा के अवसर पर 22 अक्टूबर अभिजीत मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद हो रहे है। इसी तरह द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर तथा तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो रहे है।

दशहरे के पावन अवसर पर चारधाम यात्रा के प्रमुख धाम यमुनोत्री के कपाट बंद करने की तिथि घोषित की गई है इस वर्ष 23 अक्टूबर, यमद्वितीया पर्व पर यमुनोत्री धाम के कपाट विधिपूर्वक शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके बाद मां यमुना का शीतकालीन प्रवास खरशाली स्थित यमुना मंदिर में होगा, जहां छह महीने तक उनकी पूजा-अर्चना और दर्शन किए जा सकेंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति ने बताया कि कपाटबंदी विशाखा नक्षत्र, आयुष्मान योग और अमृत बेला में की जाएगी। समारोह में समेश्वर देवता की डोली की अगुवाई में मां यमुना की उत्सव डोली भी शीतकालीन गद्दी स्थल के लिए रवाना होगी।


द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के शीतकालीन बंद होने की तिथि तय कर दी गई है। पंचांग गणना के अनुसार मदमहेश्वर धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे, जबकि तुंगनाथ धाम के कपाट 6 नवंबर से शीतकालीन बंदी के लिए बंद रहेंगे। मदमहेश्वर धाम की चल विग्रह डोली 18 नवंबर के बाद श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देती हुई 21 नवंबर को ओकारेश्वर मन्दिर में शीतकालीन गद्दी पर विराजमान होगी। वहीं तुंगनाथ धाम की उत्सव डोली 6 नवंबर के बाद विभिन्न पड़ावों से होते हुए 8 नवंबर को मक्कुमठ में शीतकालीन गद्दी पर विराजमान होगी। इस दौरान बाबा करीब छह महीने तक अपने शीतकालीन गद्दी स्थल पर ही भक्तों को दर्शन देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *