श्री शिव महा पुराण कथा के आठवें
दिवस की कथा में कथा व्यास उमेश चंद्र शास्त्री जी ने  कार्तिकेय के जन्म और तारकासुर के वध की कथा सुनाई।

धार्मिक हरिद्वार

श्री सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा के आठवें
दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए कथा व्यास उमेश चंद्र शास्त्री महाराज जी ने पुत्र कार्तिकेय के जन्म और तारकासुर के वध की कथा सुनाई।महाराज श्रीने बताया
कि भगवान शंकर और माता पार्वती के मांगलिक मिलन को कई वर्ष बीत गए। लेकिन संतान की प्राप्ति नहीं हुई।सभी देवता विचलित हो गए। उनको लगा कि भोले बाबा तो वास्तव में भोले हैं, संन्यासी हैं। वह मांगलिक मिलन नहीं करेंगे। जब वे ऐसा करेंगे ही नहीं, तो पुत्र की प्राप्ति कैसे होगी। कैसे तारकासुर का वध होगा।फिर देवता भोले नाथ की स्तुति करने लगे। तप करने लगे। लेकिन भगवान शंकर और पार्वती जी को कोई संतान नहीं हुई।कथा व्यास जी बताया कि एक तारकासुर नामक असुर था। उसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था वरदान के अनुसार उसकी मृत्यु यदि हो तो शंकर – पार्वती के पुत्र द्वारा ही हो अन्यथा नहीं।तारकासुर बहुत चालाक था उसको पता था की न शंकर जी विवाह करेंगे, न उनके संतान होगी और न उसका वध कोई कर पायेगा। इस तरह वह तो अजर और अमर हो जाएगा। उसको क्या पता था कि उसके काल का निर्धारण तो पहले ही हो चुका है।उधर सभी देवता गण परेशान थे। क्योकि सभी तारकासुर से पीड़ित थे।कथा व्यास महाराज जी ने बताया की शंकर पार्वती के मिलन से कार्तिकेय जी का जन्म हुआ।लेकिन शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय स्वामी जी का पालन पोषण 6 कृतिकाओं ने कैलाश से दूर एक जंगल में किया था कृतिकाओं की वजह से ही उनका नाम कार्तिकेय् पड़ा। कुछ समय बाद जब भगवान शिव और माता पार्वती को कार्तिकेय के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने अपने सेवक भेजकर बालक कार्तिकेय को कैलाश पर्वत पर बुला लिया ।कार्तिकेय के कैलाश आने पर शिवजी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उनका पुत्र बहुत समय बाद उनके पास वापस आ गए थे। देवताओं ने इस बालक को विद्या,शक्ति, अस्त्र-शस्त्र दिये। लक्ष्मी जी ने एक दिव्य हार दिया।सरस्वती जी ने सिद्ध विद्याएं दी।कार्तिकेय जी अतुलित बलशाली थे।महादेव जी की आज्ञा से देवताओं के कहने पर आखिरकार कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया।
महाराज श्री ने कहा की तारकासुर के वध से यह बात सिद्ध हुई कि कोई कितना ही प्रयास क्यों न करे, मौत अपना रास्ता बना ही लेती है। तारकासुर को क्या पता था कि शंकर जी के पुत्र होगा? यह पुत्र ही उनका वध करेगा। उसने तो बहुत सोच विचारकर ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था। चतुर था। शैतान था। शैतान का दिमाग ज्यादा तेज चलता है कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध करके देवताओं को भयमुक्त कर दिया।
कथा मे मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के मुख्य यजमान प्रभात गुप्ता और उनकी धर्मपत्नी रेनू गुप्ता,
जय प्रकाश,राकेश मालवीय,दिलीप गुप्ता,तेज प्रकाश,अनिल चौहान, सुनील चौहान,मानदाता,मोहित
तिवारी,हरिनारायण त्रिपाठी,कुलदीप कुमार,अवधेशपाल,रामललित गुप्ता,
धर्मपाल,अंकित गुप्ता,दिनेश उपाध्याय,हरेंद्र मौर्य,होशियार
अलका शर्मा,संतोष चौहान,पुष्पा गुप्ता,सरला शर्मा,विभा गौतम
,अनपूर्णा,राजकिशोरी मिश्रा, मिनाक्षी,कौशल्या,तनु चौहान,
नीतू गुप्ता,कुसुम गैरा,मनसा मिश्रा
,सुनीता चौहान,रेनू,बबिता,कृष्णा चौधरी और अनेको श्रोता गण कथा मे सम्मिलित हुए।

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