हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार, शिक्षाविद्,अपभ्रंश साहित्य पर महत्वपूर्ण शोध करने वाले,हिंदी साहित्य संस्थान से सम्मानित डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण की अस्थियां आज कनखल सतीघाट में पूर्ण वैदिक विधि विधान के साथ गंगा में विसर्जित की गई। अरुण जी की 9 मई को रुड़की में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनके बड़े बेटे शैलेंद्र शर्मा ने उनके अवशेष अस्थि गंगा में विसर्जित किए। शर्मा मूल रूप से कनखल के रहने वाले थे। पहले उनके अस्थि कलश को रुड़की से उनके कनखल स्थित पैतृक घर इमली मोहल्ले लाया गया। और वहां से सती घाट लाया गया।
इस अवसर पर उनके छोटे बेटे सत्येंद्र शर्मा, उनके परिजन राघवेंद्र,शुभम, प्रिंस, राकेश, सुधीर, सुमन, गोपाल कृष्ण शर्मा, यादवेंद्र, राजेश शर्मा, गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप झा, पूर्व स्वागत मंत्री श्रीकांत वशिष्ठ, एन यू जे के प्रदेशाध्यक्ष सुनील पांडे, प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार एवं एन यू जे के जिला अध्यक्ष आदेश त्यागी महामंत्री डॉ. शिवा अग्रवाल आदि ने अस्थि कलश पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। एन यू जे उत्तराखंड के मुख्य संरक्षक संजय तलवार ने अरुण जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। अरुण जी पंजाब केसरी में स्तंभकार थे।
