भेल संपदा विभाग के अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते रामलीलाओं पर संकट के बादल।

धार्मिक पर्व, त्यौहार और मेले हरिद्वार
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भेल हरिद्वार में लगभग 55 वर्षो से विभिन्न सेक्टरों में भेल कर्मचारियों और उनके परिजनों में भारतीय संस्कृति एवं धर्म के सवर्धन के लिए भेल के कर्मचारीयों द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है ।भेल परिसर में रामलीलाओं के मंचन में भेल प्रबंधन का भरपूर सहयोग मिलता रहा है। यहाँ तक कि दशहरा मेले मे रावण के पुतले के लिए आर्थिक सहयोग किया जाता रहा है। कुछ वर्षों तक भेल प्रबंधन द्वारा स्टेडियम में दशहरा मेला भी आयोजित किया गया। अब पिछले कुछ वर्षों से भेल प्रबंधन ने इन सब से हाथ खीच लिए है। अपुष्ट सूत्रों से पता चला है कि कुछ अधिकारियों के संपदा विभाग मे आने से राम लीला समितिओं से राम लीला मैदान का किराया तक वसूलने की योजना को अंजाम देने के प्रयास किये जा रहे हैं । जिन रामलीलाओं को धर्म संस्कृति के बढ़ावे के लिए किया जा रहा था उनका भेल प्रबंधन व्यवसायीकरण करना चाहता है। जिसका उदाहरण उनके इस निर्णय में देखने को मिला जब संपदा विभाग के एक अधिकारी की मिली भगत से सेक्टर चार की राम लीला समिति को दरकिनार करते हुए दशरहा मेले का टेंडर बाहर किसी व्यक्ति को दिया वो भी बिना समाचार पत्र मे टेंडर निकाले ।पता चला है कि गुपचुप तरीके से पोने तीन लाख में ठेका दे दिया जबकि भेल में ई टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई है। भेल प्रबंधन के इस कार्य से भ्रष्टाचार की बू आ रही है। जिसमें भेल के एक उच्च अधिकारी की भूमिका से भी इंकार नही किया जा सकता।भेल के संपदा विभाग का उक्त अधिकारी अब सेक्टर एक राम लीला समिति पर दबाव बना रहा कि वह सेक्टर 1 का दशहरा मेला भेल प्रबंधन के हवाले कर दे ताकि संपदा विभाग धन उगाही कर सके। वहीं सेक्टर एक राम लीला के अध्यक्ष अश्वनी कुमार सिंह ने कहा है कि भेल की इस कारगुजारी को वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचाने का कार्य करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड सरकार रामलीलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक सहायताएं भी देती है ताकि राम लीला की परंपरा जिंदा रहे वहीं भेल प्रबंधन यहां से लाभ कमाना चाह रहा है और हिंदू धर्म के कार्य में बाधा पहुंचा रहा है।समिति के अध्यक्ष द्वारा भगवा सेना और बजरंग दल से संपर्क कर राम के विरोधी लोगों के विरुद्ध मोर्चा खोलने की भी बात सामने आ रही है।भेल प्रशासन अपनी 55 वर्ष पुरानी परंपराओं को भूल रहा है ज्ञात रहे कि भेल कर्मचारियों के लिए की जा रही रामलीला जो कि घर घर चंदा मांग कर एकत्र राशि से की जाती है इसलिए भेल प्रबंधन द्वारा रामलीला समितिओं से धन की इच्छा करना उचित नही।

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