पितृपक्ष में यहां लोग अपने पित्रों के मोक्ष के लिए करते हैं पिंडदान और तर्पण।पितृ अमावस्या को बहुत बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं यहां एक प्रकार का मेला लगता है ।हरिद्वार में नारायणी शिला मंदिर एक सबसे महत्वपूर्ण पवित्र स्थान है। नारायणी शिला मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, देवपुरा (मायापुर), हरिद्वार में स्थित है । नारायणी शिला मंदिर में किया जाने वाला प्रमुख अनुष्ठान पूर्वजों, माता-पिता और रिश्तेदारों को पिंड दान करना है। पितृ दोष से पीड़ित लोग भी यहां अनुष्ठान करते हैं। प्रेत योनि में पीड़ित मृत रिश्तेदारों को मोक्ष मिलता है जब रिश्तेदार यहां पूजा करते हैं।
यहां पितृ मोक्ष जप और यज्ञ तथा श्राद्ध कर्म भी किये जाते हैं। जो लोग आत्माओं से परेशान हैं वे भी यहां आकर राहत पाते हैं।
मंदिर के अंदर विष्णु की आधी शिला और मूर्ति है । मंदिर के बाहर विष्णु की एक मूर्ति भी है। मंदिर के आसपास हजारों छोटे टीले देखे जा सकते हैं – ये रिश्तेदारों द्वारा अपने परिवार में मृतकों की शांति के लिए बनाए गए हैं।
नारायणी शिला से जुड़ी पौराणिक कथा का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है । ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु और गयासुर के बीच युद्ध हुआ तो भगवान विष्णु ने गयासुर का बध किया वह तीन हिस्सों में बंट गया उसका मस्तक ब्रह्म कपाली बद्रीनाथ धाम ,बीच का हिस्सा हरिद्वार और धड़ से नीचे का हिस्सा गया में गिरा। बाद में विष्णु ने गयासुर को माफ कर दिया और कहा कि जिस स्थान पर उसका शरीर गिरा वह पवित्र हो जाएगा और मनुष्यों द्वारा श्राद्ध करने के लिए उपयोग किया जाएगा। इसलिए बद्रीनाथ धाम हरिद्वार और गया जी में पितृ तर्पण करने का विशेष महत्व है उसे पर स्कंद पुराण के केदार खंड के अनुसार, हरिद्वार में नारायण का साक्षात हृदय स्थान होने के कारण इसका महत्व अधिक इसलिए माना जाता है क्योंकि मां लक्ष्मी उनके हृदय में निवास करती है। इसलिए इस स्थान पर पिंडदान श्राद्ध कर्म आदि पित्रों के लिए किए गए अनुष्ठान का और भी विशेष महत्व है।
निशंकजी पर सीएम रहते लाखो का बिल था। केवल 10000/- जमा कराये। वहभी इसलिए चुनाव नही लड सकते थे। अन्य पूर्व सीएम पर भी थे। बिजली एबम कोठी का किराया