मदरसों पर हो रही कार्रवाई के मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेसी विधायकों ने मुख्य सचिव से मुलाकात की।

उत्तराखंड राजनीति
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राज्य मे बिना नोटिस के मदरसों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने सचिवालय देहरादून में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भेट वार्ता कर ज्ञापन साैंपा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व सीएम हरीश रावत, विधायक काजी निजामुद्दीन, विधायक ममता राकेश, विधायक फुरकान अहमद, विधायक रवि बहादुर, विधायक अनुपमा रावत, विधायक वीरेंद्र जाती, विधायक आदेश चौहान, वीरेंद्र रावत, हरिद्वार कांग्रेस ग्रामीण जिला अध्यक्ष राजीव चौधरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव अफाक अली शामिल रहे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से वार्ता के दौरान हरीश रावत ने सभी मदरसों को एक ही श्रेणी मे लेकर अनावश्यक रूप से की गई कार्यवाही पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि जिन मदरसों में उर्दू, फारसी मौलवियत की डिग्री दी जाती है। उन मदरसों का पंजीकरण कराना तो उचित लगता है। परंतु जिन स्थानों पर यह शिक्षा या तालिम नहीं है। जहां कायदा सिपारा, कुरान सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है कि वह अपनी इबादत एंव धर्म के ज्ञान को ठीक से पढ सके और अपने दीन धर्म के हिसाब जीने का सलीखा सीख सकें। उन स्थानों पर हो रही कार्यवाही की निन्दा व नाराज़गी जाहिर की। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव अफाक अली ने वन गुर्जरो की अपनी निजी जमीन पर बने कमरों की सील खुलवाने की अपील की। जिसका सोसाइटी रजिस्ट्रेशन भी प्रमुख सचिव को सौंपा। राव अफाक अली ने कहा कि ना तो वो मस्जिद है और ना ही मदरसा। चार वन गुर्जर भाइयों के ही बच्चे कमरे में कुरान व नमाज पढ़ते हैं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल विधायकों ने कहा 6 माह पूर्व नोटिस देकर कार्यवाही करनी चाहिए थी और आगे होने वाली कार्यवाही के लिए भी 6 माह पूर्व नोटिस दिया जाए और जिन जगह पर गीता, रामायण, पुराण, इंजील, बाइबल, गुरुग्रंथ, सिपारा या कुरान पढ़ाया जाता है। उन जगहों पर पढ़ाने के लिए किसी भी सरकार से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। सभी अपने अपने धर्माे की पूजा इबादत करने के लिए स्वतंत्र है।

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