भद्रा तिथि हर 3-4 दिन बाद आती है जिसमें कुछ चीजें वर्जित हैं जैसे रक्षा बंधन पर्व ।इस बार भी रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया रहेगा। इस बार 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर 7 घंटे 39 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। शास्त्रों के अनुसार रक्षा सूत्र बंधन का कार्य भद्रा रहित शुभ मुहूर्त काल में ही होना चाहिए। भद्रा काल को अशुभ माना गया है। इस बार रक्षाबंधन पर 7 घंटे से अधिक समय तक भद्रा का साया रहेगा। साथ ही इस दौरान श्रावणी कर्म भी निषेध रहेगा। कनखल हनुमान गढ़ी मंदिर के पंडित आनंद बल्लभ जोशी कहते हैं कि
भारतीय शास्त्रीय दृष्टि से हर ३-४ दिन बाद भद्रा तिथि अवतरित होती है , १९ के बाद भद्रा पुन: २२ में अवतरित होगी। शास्त्रीय मर्यादानुसार भद्रा तिथि में कुछ कार्यों की वर्जना है जिनमें आचार्य(गुरु) से यजमान को रक्षा बांधना भी है।तदर्थ आचार्य /गुरू द्वारा तथा बहिन द्वारा भाइयों को १९, सोमवार में दोपहर १३:३३:४७ पश्चात रक्षा बांधनी चाहिए।
पुन: व्यावहारिक/आवागमनीय कठिनाई तथा एक ही दिन में पत्नी को अपने भाई को तथा पति को अपनी बहिन से दूरस्थ में रक्षा बंधन अनुष्ठानिक समस्या हेतु , ईश्वर स्मरण कर कार्य सम्पादन श्रेयस्कर ही कहा जायेगा , क्योंकि कल्याण की मधुर भावना से ओत-प्रोत कर्म में प्रभु कल्याण ही करेंगे।
इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 05. 53 से दोपहर 01. 32 तक भद्रा रहेगी। इस दौरान भद्रा का वास पाताल लोक में बताया गया है। कुछ ज्योतिष के मानने वालों का कहना है कि पाताल की भ्रदा का विशेष महत्व नहीं होता, इसकों नजरअंदाज भी किया जा सकता है। अर्थात यदि कोई भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधता या बंधवाता है तो कोई हानि नहीं है। यदि मुहुर्त के हिसाब से रक्षा सूत्र बंधवाया जाए जो विशेष फलदायी होता है।