लोकसभा चुनाव निपटने के बाद कांग्रेस में हरीश और हरक की रार फिर चौराहे पर है। हरीश ने जहां उन्हें 2016 में कांग्रेस सरकार गिराने के लिए माफ न करने की बात कही है तो हरक का कहना है कि उनकी जीत सुनिश्चित होने के बावजूद हरीश की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला।हरक सिंह ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर हरीश रावत को कठघरे में खड़ा किया है तो वहीं हरीश रावत भी पलटकर सीधे जवाब दे रहे हैं।
दोनों नेताओं ने अलग-अलग बातचीत में अपने-अपने दिल की बात और दर्द सामने रखा है।
हरिद्वार में चुनाव विवाद
कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत का कहना है कि अगर उन्होंने हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव लड़ा होता तो 200% कांग्रेस की जीत होती लेकिन हरीश रावत ने जगह-जगह लोगों को 2016 की बगावत की बात याद दिलाई जिससे उन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला।
वहीं, हरीश रावत ने कहा 200 परसेंट जीत का दावा, तो हरक सिंह रावत उनके प्रेरणा स्रोत करन महारा और भी कई दूसरे नेता भी कर रहे हैं, लेकिन हरिद्वार के मेरे ऊपर बहुत सारे उपकार हैं, इसके लिए आखिरी वक्त तक हरिद्वार की जनता के लिए लगा रहूंगा वहीं हरिद्वार में दूसरे नेताओं के जीत के दावों पर हरीश रावत ने कहा राजनीतिक पर्यावरण में इस तरह के चील-कौए रहते ही हैं।
हरक सिंह रावत ने ये भी कहा कि जब 2022 में उनकी पार्टी में वापसी हुई थी तब कहा गया था कि वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे ये बात नहीं हुई थी। हरक सिंह के मुताबिक बार-बार 2016 की बातों को दोहराना ठीक नहीं है अब मैं कांग्रेस में ही हूं।
वहीं कांग्रेस नेता हरीश रावत का कहना है कि जब तक हरक सिंह 2016 में सरकार गिराने की घटना को लेकर प्रायश्चित नहीं कर देते, तब तक में उन्हें माफ नहीं कर सकता। हरीश रावत का कहना है कि वापसी के बाद 5 साल हरक सिंह को पार्टी के लिए काम करना चाहिए तब जाकर प्रायश्चित होगा। हरीश रावत के मुताबिक, वो हरक सिंह को कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते पार्टी भले ही उन्हें नेता स्वीकार कर ले।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति बीजेपी में शामिल हो गई थी। तब से इस बात की चर्चाएं जोरों पर थी कि हरक सिंह रावत भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन अब हरक सिंह रावत ने साफ कर दिया कि वो कांग्रेस में ही रहेंगे बीजेपी में नहीं जाने वाले।
कुल मिलाकर 2016 की बगावत की घटना को भले 8 साल गुजर चुके हों जब हरक सिंह रावत के साथ नौ विधायकों ने बगावत करके हरीश रावत की सरकार गिरा दी थी लेकिन आज भी दोनों नेताओं के दिल में एक दूसरे को लेकर नाराजगी बरकरार है।