दुबई के जलवायु सम्मेलन से लौटे ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने अभिनन्दन समारोह में साझा किए अनुभव

राष्ट्रीय सम्मान हरिद्वार
Listen to this article

हरिद्वार। “जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की विश्व व्यापी समस्या के समाधान के लिए पूरी दुनिया चिंतित है। वर्ष 1995 में शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन की श्रृंखला में वर्ष 2023 में दुबई में कॉप 28 के नाम से वैश्विक जलवायु सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवांश ईधन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले मुद्दे पर आम सहमति बनी।”
उपरोक्त जानकारी हाल ही में दुबई में आयोजित हुए ‘अन्तर्राष्ट्रीय कॉप 28 सम्मेलन’ में भाग लेकर लौटे ट्री ट्रस्ट आफ इंडिया के अध्यक्ष ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दी। वह इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी के हरिद्वार चैप्टर द्वारा आयोजित अपने नागरिक अभिनन्दन समारोह के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ उद्योगपति व हरिद्वार चैप्टर के संरक्षक जगदीश लाल पाहवा ने की। इसी दौरान पर्यावरणविद् बी.डी. जोशी, डा. महेन्द्र आहूजा, हरिद्वार चैप्टर के संरक्षक व वरिष्ठ उद्योगपति जगदीशलाल पाहवा, जगदीश विरमानी, भाजपा जिला अध्यक्ष जयपाल सिंह आदि ने भी पर्यावरण को लेकर अपने विचार रखे तथा विजय पाल बघेल को काॅप-29 में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर बधाई दी। श्रवण सेवा शोध संस्थान के सचिव डा. अशोक गिरि ने भी विजय पाल बघेल को विशेषरूप से सम्मानित किया। इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ़ इंडिया, हरिद्वार चैप्टर के सचिव तथा चेतना पथ के संपादक अरुण कुमार पाठक ने हरिद्वार चैप्टर को संस्था के राष्ट्रीय अधिवेशन प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सभी सदस्यों व पदाधिकारियों को बधाई दी। इसी अवसर पर हरिद्वार चैप्टर की ओर से रूस और कजाकिस्तान में भारत के लिये पाँच स्वर्ण पदक जीतने के लिये श्रीमती संगीता राणा का विशेष सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में बोलते हुए विजयपाल बघेल ने बताया कि,
“कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच जो मतभेद हुआ करते थे, उनको पाटने में कॉप-28 की भूमिका सराहनीय रही है।” कार्यक्रम में ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया के निदेशक रंजीत सिंह, इंटरनेशल गुडविल सोसाइटी के अध्यक्ष ई. मधुसूदन आर्य, प्रमोद शर्मा, विनोद मित्तल, दिवाकर गुप्ता, सर्वेश गुप्ता, राधिका नागरथ, एस एस राणा, डा यतींद्र नाग्यान, डा. बी. डी. जोशी, भाजपा जिलाध्यक्ष डा. जयपाल सिंह, डा. रोहिताश, डा. महेंद्र आहूजा, जगदीश विरमानी, अभिनंदन गुप्ता, राजकिशोर, अनिल भारतीय, मनोज गौतम, सीमा चौहान, तजेंद्र सिंह, राजकिशोर, रामेश्वर गौड़, जोगिंदर तनेजा, रवि दत्त शर्मा, तेजिंदर सिंह (इंचार्ज आउट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन, सुमित सिंघल (प्रदेश मंत्री, बी.एम.एस.), शिक्षिका व गायिका सीमा धीमान, कवियत्री कंचन प्रभा गौतम व राजकुमारी थर्रान, कवि दिव्यांश कुमार आदि विशेषरुप से उपस्थित रहे।
हरितऋषि विजयपाल बघेल ने आगे बताया कि पेरिस समझौते तथा क्योटो प्रोटोकॉल की मूल संधियों पर इस कॉप 28 के माध्यम से पूरी दुनिया ने एक आम सहमति बनाकर, इनकी विसंगतियों को भी दूर किया। पर्यावरणीय संकट की व्यापकता और निस्तारण हेतु त्वरित कार्रवाई की अनिवार्यता को विश्व पटल पर पहली बार कॉप 28 के माध्यम से महसूस किया गया। पिछली बैठकों में तो विकसित देश अपने को उच्च मानकर विकासशील देशों और अविकसित देशो पर ही थोपते थे, लेकिन कॉप 28 के माध्यम से जलवायु पूंजी में बढ़ोतरी करने पर विकासशील व अविकसित देशों पर लोन की बाध्यता को हटाकर, ‘क्लाइमेट कैपिटल’ को बढ़ाने के लिए आम सहमति बनाई गयी।
उन्होंने बताया कि “पेरिस समझौते के तहत, जो जलवायु न्याय के मुद्दे थे, वे ग्लोबल स्टॉकटेक के माध्यम निस्तारित किए जाने थे, वो कुछ देशों के लिए प्रतिबंधित थे। वह बाध्यता वाला शब्द ‘कुछ के लिए’ भी हटा दिया गया, यानि कि अविकसित देशों को कुछ राहत इस कॉप 28 के माध्यम से जरूर मिली। कॉप 28 सम्मेलन की अध्यक्षता सुल्तान अल जावेद ने की तथा यूएन जलवायु परिवर्तन के महासचिव साइमन स्टिल द्वारा किया गया।


ग्रीनमैन बघेल ने बताया कि कोप 28 के उद्घाटन सत्र में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी शामिल रहे और उन्होंने जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारत द्वारा उठाए जा रहे बहुत महत्वपूर्ण कदमों और प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि, G20 की अध्यक्षता करने के माध्यम से भारत ने पूरी दुनिया की जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान का अचूक मंत्र दिया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को नियंत्रित करने वाला लक्ष्य हासिल करने की जो समय सीमा निर्धारित की गई थी उसको भारत ने 11 साल पहले ही हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2028 में कॉप 33 को अपने यहां आयोजित करने का प्रस्ताव विश्व पटल पर रखा। श्री बघेल ने बताया कि कॉप 28 के माध्यम से वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है और गैर जीवांश ईंधन की हिस्सेदारी 50% तक बढ़ाने की बात भी रखी गई है।


ग्रीनमैन ऑफ इंडिया ने कहा कि धरती को बचाने के लिए यह वैश्विक जलवायु वार्ता नाकाफी है। जिस तरह से पेरिस समझौते का उल्लंघन विकसित देशों द्वारा किया गया अगर कोप 28 भी इसी तरह केवल बातों और योजनाओं बनाने तक ही सीमित रहा तो ऐसे तो जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए व्यावहारिक कार्यक्रम तय करने होंगे।
उन्होंने आगे बताया कि, “जिस तरह से भारत अपनी प्राकृतिक संपदा के संरक्षण लिए चिंतित है उसी तरह विकसित देशों को भी प्रकृति बचाने के लिए आगे आना होगा और जलवायु परिर्वतन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कार्बन गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाना होगा। श्री बघेल ने आगे बताया कि धरती आग का गोला बनती जा रही है जिस कारण जलवायु परिवर्तन होकर पूरी पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संरचना को तहस नहस कर रही है इससे निजात पाने के लिए पूरी मानव जाति को सामूहिक प्रयास करने होंगे, नहीं तो जिस तरह से प्राकृतिक आपदाएं चारों तरफ अपना तांडव कर रही है उससे महाविनाश अवश्यंभावी है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published.