श्री केदारनाथ मंदिर और मां यमुनोत्री के कपाट विधिविधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए
विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज गुरुवार को भैया दूज के पावन अवसर पर प्रातः साढ़े आठ बजे विधिवत रूप से बंद हो गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी धाम में मौजूद रहे।
विधि-विधान व पूजा-अर्चना के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकालीन 06 माह के लिए हुये बन्द।
भगवान श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को पुष्पों से भव्य रूप में सजाया गया। सेना के बैंड की भक्ति धुनों और “जय बाबा केदार” के जयघोष के साथ मंदिर परिसर श्रद्धाभाव से गूंज उठा। ठंडे मौसम के बावजूद लगभग 10 हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।
मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया के अंतर्गत ब्रहममुहूर्त में श्री केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री बागेशलिंग एवं आचार्यगणों द्वारा यज्ञ, हवन एवं समाधि पूजन किया गया। तत्पश्चात भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों—कुमजा, बुकला, राख, ब्रह्मकमल, सूखे पुष्प-पत्रों से ढककर समाधि रूप दिया गया। इसके बाद गर्भगृह के द्वार शीतकाल हेतु बंद किए गए।
कपाट बंद होने के पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में मंदिर के पूर्वी व दक्षिणी द्वार विधिवत बंद किए गए। इसके उपरांत भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर की परिक्रमा कर प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान कराया गया। सेना के बैंड की मधुर धुन के बीच डोली वाहकों, पुजारियों तथा श्रद्धालुओं ने गर्मजोशी से बाबा केदार का जयघोष किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर देश-विदेश से आए सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी विजन के अनुरूप केदारपुरी का भव्य और दिव्य पुनर्निर्माण कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में चारधाम यात्रा के अंतर्गत रिकॉर्ड 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने धामों के दर्शन किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कपाट बंद होने के पश्चात शीतकालीन यात्रा को भी राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु चार धामों के शीतकालीन गद्दी स्थलों में भी पूजा अर्चना कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष केदारनाथ यात्रा का संचालन अत्यंत सुचारु एवं सफलतापूर्वक हुआ। इस वर्ष कुल 17,68,795 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष 2024 के 16,52,076 तीर्थयात्रियों की तुलना में लगभग सवा लाख अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा के वक्त को छोड़कर संपूर्ण यात्रा अवधि में व्यवस्थाएं सुचारु रहीं। शीतकालीन अवधि में भी श्री केदारनाथ धाम में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ रहेगी और शीतकालीन पूजाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कपाट बंद होने के पश्चात बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली आज प्रस्थान कर प्रथम पड़ाव रामपुर में रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगी। कल शुक्रवार, 24 अक्टूबर को डोली श्री विश्वनाथ मंदिर, गुप्तकाशी पहुंचेगी, जहां रात्रि विश्राम के पश्चात शनिवार, 25 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।


कपाट बंद समारोह के अवसर पर विधायक केदारनाथ श्रीमती आशा नौटियाल, जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रप्रयाग श्रीमती पूनम कठैत, बीकेटीसी अध्यक्ष श्री हेमंत द्विवेदी, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री भारत भूषण भट्ट, कृषि विपणन बोर्ड अध्यक्ष श्री अनिल डब्बू, बीकेटीसी उपाध्यक्ष श्री ऋषि प्रसाद सती, जिलाधिकारी श्री प्रतीक जैन, पुलिस अधीक्षक श्रीअक्षय प्रह्लाद कोंडे एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
माँ यमुना जी के उद्गम स्थल स्थित उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध धाम यमुनोत्री के कपाट आज 23.10.2025 को भाईदूज के पावन पर्व में अपराह्न 12 बजकर 30 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए ।
यमुनोत्री से पतित पावनी मां यमुना की डोली ढोल-दमाऊ व सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच शनिदेव महाराज की अगुवाई में शीतकालीन प्रवास खरसाली (खुशीमट्ठ) गांव के लिए रवाना हुई।
शीतकाल में श्रद्धालु मां यमुना जी के दर्शन व पूजा-अर्चना शीतकालीन प्रवास खरसाली स्थित यमुना मंदिर में कर सकेंगे।

