महंत रघुवंशपुरी कौरा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के ट्रस्टीगण आज प्रेस क्लब हरिद्वार में डॉ भरत तिवारी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उल्टे भरत तिवारी ने ट्रस्ट के पैसों का हिसाब नहीं दिया। ज्ञात रहे कल 05 अक्टूबर को डॉक्टर भरत तिवारी ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए नया ट्रस्ट बनाने की बात कही थी ।
जिसका जवाब देने के लिए पहुंचे ट्रस्ट के अध्यक्ष कीर्ति कांत शर्मा ने बताया कि स्वर्गीय श्रीमती कोरा देवी द्वारा दिनांक 11 सितम्बर 1980 को अपनी निजी संपत्ति महंत रघुवंशपुरी स्टेट की सुरक्षा, प्रबंधन एवं संचालन हेतु एक पंजीकृत वसीयत्त के माध्यम से “महंत रघुवंशपुरी कोरा देवी ट्रस्ट, हरिद्वार” की स्थापना की गई थी। इस ट्रस्ट का मूल उद्देश्य स्वर्गीय कोरा देवी जी की निजी संपत्ति की रक्षा करना, उसका उचित प्रबंधन करना तथा उनके समान अधिकारों के साथ उसकी निरंतर संचालन सुनिश्चित करना था। जिसमें उनके द्वारा अपने परिवार एवं विश्वासपात्र व्यक्तियों को उक्त वसीयत में ट्रस्ट की संपूर्ण नियमावली के साथ ट्रस्टी नियुक्ति का उल्लेख स्वर्गीय कोरा देवी जी द्वारा स्वयं किया गया था। जिस अनुसार ट्रस्ट निरन्तर कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के धन का कभी भी किसी ट्रस्टी द्वारा निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु गमन नहीं किया गया। इसके विपरीत, डॉ. भरत तिवारी द्वारा ट्रस्ट के धन का पूर्व से निजी लाभ के लिए दुरुपयोग किया गया है, जो कि ट्रस्ट के उद्देश्यों एवं नियमों के प्रतिकूल है।
जब ट्रस्ट द्वारा उक्त धन की वापसी की मांग की गई तो डॉ. भरत तिवारी ने कुछ असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचते हुए, जो पूर्व से ही ट्रस्ट की संपत्ति पर अवैध कब्जा जमाने एवं उसे खुर्द-बुर्द करने की फिराक में थे. ट्रस्ट को हानि पहुंचाने का कार्य किया। इस षड्यंत्र के तहत डॉ. तिवारी ने फर्जी एवं कूटरचना के तरीके से एक नई ट्रस्ट फर्जी कूटरचित प्रस्ताव से गठन कर लिया, जो ट्रस्ट की संपत्ति हड़पने के उद्देश्य से किया गया एक आपराधिक कृत्य है
महंत रघुवंशपुरी कोरा देवी ट्रस्ट इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई प्रारंभ कर रहा है. ताकि ट्रस्ट की संपत्ति एवं उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा की जा सके। ट्रस्ट के सचिव विशाल शर्मा ने ट्रस्ट के गठन का इतिहास बताते हुए राम पुरी विवाद को बताते हुए वर्तमान स्थिति स्पष्ट की।

