महिला आयोग ने लिया था घटना का स्वतः सज्ञान,प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने लगाया एकतरफा कार्रवाई का आरोप।
जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिला के साथ हुए अमानवीय व्यवहार का मामला थमने का नाम नहीं के रहा है। मामले में महिला चिकित्सक समेत अन्य चिकित्सा कर्मियों पर मरीज से अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगा था। शनिवार को महिला आयोग की सदस्य कमला जोशी ने महिला अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। कमला जोशी ने बताया कि डॉक्टर, नर्स और आशा वर्कर से पूरे प्रकरण की जानकारी ली गई है। जानकारी के आधार पर जल्द मामले की विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी। जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस घटना का आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। जिसके बाद उन्होंने यहां पहुंचकर अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। कहा कि गर्भवती महिला की डिलीवरी फर्श पर नहीं बल्कि बेड पर हुई है। सोशल मीडिया पर फर्श पर डिलीवरी की बात पूरी तरह से गलत है। कहा कि जच्चा बच्चा दोनों स्वास्थ्य हैं और आगे कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। सीएमओ डा.आरके सिंह ने कहा कि महिला आयोग जो भी जांच रिपोर्ट देगा, उस पर दोबारा कार्रवाई की जाएगी। मामले में दोषी ठहराई गई महिला डा.सलोनी पंथी ने कहा कि अमानवीय व्यवहार की बात पूर्ण रूप से गलत है। उन पर लगाए गए अभी आरोप निराधार है। इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.आरके सिंह, जिला अस्पताल के पीएमएस डा. आरवी सिंह, मेला अस्पताल के सीएमएस डा.राजेश गुप्ता, एसीएमओ डा.रमेश कुंवर समेत अस्पताल के चिकित्सक व कर्मचारी मौजूद रहे।

उधर महिला चिकित्सक पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने पूरे मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच करने की मांग की है। महिला अस्पताल सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश महासचिव डा.रमेश कुंवर ने कहा कि गर्भवती महिला प्रकरण में डा.सोनाली पंथी पर एक तरफा कार्रवाई हुई है, जो कि पूर्ण रूप से गलत है। मामले की दोबारा पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले का सोशल मीडिया पर गलत प्रचार किया गया है। जिससे अस्पताल की छवि खराब हुई है। महिला अस्पताल में अक्सर डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के बेड भरे रहते हैं, जिससे अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस पूरे प्रकरण का सोशल मीडिया पर गलत प्रचार किया गया है। मामले में यह असत्य कहा जा रहा है कि डिलीवरी फर्श पर हुई है, जबकि पीड़ित महिला की डिलीवरी बेड पर हुई है। जिला संरक्षक डा.राजेश गुप्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल की गई वीडियो लगभग 12.30 बजे की है और 1.30 बजे महिला की डिलीवरी हो चुकी थी। कहा कि जब पीड़ित गर्भवती महिला यहां उपचार के लिए पहुंची तो उन्हें चिकित्सक ने इंजेक्शन दिया था। इस दौरान आशा वर्कर भी पीड़ित महिला के साथ होती हैं। कहा कि महिला की हालत बिगड़ने के दौरान आशा वर्कर ने आपसी द्वेष के चलते चिकित्सक को सूचना देने के बजाय उसका वीडियो बनाना शुरू कर दिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसके चलते यह पूरा प्रकरण हुआ है। इस पूरे मामले में दोषी ठहराई गई चिकितसक के खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है, जो कि पूरी तरह गलत है। पत्रकार वार्ता के दौरान डा.सुब्रत अरोड़ा, डा.प्रशांत, डा.शादाब सिद्दीकी शामिल रहे।

