13 साल चले मुकदमे के बाद विजिलेंस के गिरफ्त में आए रिश्वतखोर केलाखेड़ा नगर पंचायत के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही ₹20000 के अर्थदंड से भी दंडित किया है. जमीन पर निर्माण की अनुमति के एवज में नगर पंचायत के ईओ को विजिलेंस ने रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था।
शिकायतकर्ता सआदत हुसैन पुत्र स्व मो० हनीफ निवासी वार्ड नम्बर-4 केलाखेड़ा तहसील बाजपुर जिला उधम सिंह नगर द्वारा एक प्रार्थना पत्र सर्तकता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी में 24 मई 2012 को दिया गया कि प्रार्थी आर्मी में जम्मू-कश्मीर में तैनात है तथा प्रार्थी के पास एक बीघा 13 बिस्वा जमीन केलाखेड़ा में है, जिसमें वह संयुक्त परिवार के साथ रहता था। इस जमीन पर पक्का निर्माण कराने के लिए नगर पंचायत केलाखेडा के ईओ संजीव मेहरोत्रा से 26 अप्रैल 2012 को उनके कार्यालय में मिला तो उनके द्वारा कहा गया कि केलाखेडा में सभी मकान बिना नक्शे के बने है, यदि कुछ खर्चा करो तो अपना मकान बना लो तथा मुझसे 20,000/- (बीस हजार रूपये) रिश्वत की मांग की गयी। इसके पश्चात मैंने मकान का कार्य प्रारम्भ कर दिया, रूपये ना देने के कारण समय-समय पर ईओ संजीव महरोत्रा द्वारा मुझे पैसों के एवज में प्रताड़ित किया जा रहा है।
इस सम्बन्ध में सर्तकता अधिष्ठान द्वारा जाँच करायी गयी तथा निरीक्षक तिलक राम वर्मा के नेतृत्व में टीम गठित की गयी। 26.मई 2012 को रूद्रपुर में आरोपी संजीव महरोत्रा को शिकायतकर्ता सआदत हुसैन से रिश्वत लेते हुये ट्रैप टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया तथा सर्तकता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी में दिनांक 26.05.2012 को मुअसं 01/2012 घारा 7/13(1), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम पंजीकृत किया गया। उक्त अभियोग की विवेचना निरीक्षक राजेन्द्र सिंह हयांकी द्वारा सम्पादित कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया।
अभियोजन की कार्यवाही के दौरान अभियोजन अधिकारी सुनीता भट्ट द्वारा न्यायालय के समक्ष 7 गवाहों को परीक्षित कराया गया। अभियोग में केस आफिसर निरीक्षक हेम चन्द्र पाण्डे तथा कोर्ट पैरोकार कानि० राजेन्द्र सिंह मेहरा थे। न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रथम / विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण, हल्द्वानी,नैनीताल सविता चमोली की अदालत द्वारा अभियुक्त संजीव महरोत्रा को भ्रष्टाचार निवारण अधि०, 1988 की धारा 7 के अपराध में एक वर्ष के साधारण कारावास तथा रूपये 10,000/- (दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड तथा धारा 13 (1) (डी) सपठित धारा 13 (2) भ्र०नि०अधि० के अपराध में दो वर्ष के साधारण कारावास तथा अर्थदण्ड रूपये 10,000/- (दस हजार रूपये) कुल 03 वर्ष के कारावास एवं रू0 20,000/- अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।

