
समलैंगिक विवाह और इस रिलेशनशिप के सोशल स्टेटस को मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 18 समलैंगिक जोड़ों ने याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने से इन्कार करते हुए कहा कि शादी करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.
समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. विश्व हिंदू परिषद ने प्रसन्नता व्यक्त की ।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये विधायिका का अधिकार क्षेत्र है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 3-2 से ये फैसला सुनाया. सेम सेक्स मैरिज पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती.
सीजेआई ने अपना फैसला सुनाते हुए समलैंगिक शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी राय में संसद को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में फैसला करना चाहिए. उन्होंने समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए केंद्र और पुलिस बलों को कई दिशा-निर्देश भी जारी किए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा है कि
समलैंगिक विवाह तथा उनके द्वारा दत्तक लिए जाने को कानूनी मान्यता नहीं दिए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का विश्व हिन्दू परिषद ने स्वागत किया है। विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने आज कहा है कि हमें संतोष है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हिन्दू, मुस्लिम व ईसाई मतावलंबियों सहित सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय दिया है कि दो समलैंगिकों के बीच संबंध विवाह के रूप में पंजीयन योग्य नहीं है। यह उनका मौलिक अधिकार भी नहीं है। समलैंगिकों को किसी बच्चे को दत्तक लेने का अधिकार भी ना दिया जाना भी एक अच्छा कदम है।