हरिपुर के विनय पंवार का सैनिक सम्मान के साथ खड़खड़ी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार , एक वर्ष पूर्व उत्तरकाशी में बर्फीले तूफान में फंसकर लापता हुए थे पंवार।

उत्तराखंड दुर्घटना हरिद्वार
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एक वर्ष पहले उत्तरकाशी के द्रोपदी क्षेत्र के डांडा में आए बर्फीले तूफान में फंसकर लापता हुए हरिद्वार के पास हरिपुर कलां क्षेत्र निवासी 29 वर्षीय विनय पंवार का अंतिम संस्कार खड़खड़ी श्मशान घाट पर किया गया।इंडियन नेवी में कार्यरत विनय पंवार तमिलनाडु के रामेश्वरम में तैनात थे पर्वतारोहण कीइएडवांस ट्रेनिंग के लिए निम उत्तरकाशी गए थे।
चार अक्टूबर 2022 की सुबह निम के एडवांस कोर्स का प्रशिक्षु व प्रशिक्षक दल समिट कैंप से डीकेडी आरोहण के लिए निकला था। इसी दौरान दल में शामिल दो प्रशिक्षक और 29 प्रशिक्षु पर्वतारोही हिमस्खलन की जद में आ गए थे। इनमें से 27 के शव बीते वर्ष ही बरामद कर लिए गए, जबकि देहरादून निवासी विनय पंवार और आर-131, सेक्टर-4, नोएडा (उत्तर प्रदेश) निवासी सेना अस्पताल लखनऊ में चिकित्सक ले. कर्नल दीपक वशिष्ठ लापता चल रहे थे।
तलाश के लिए चलाया गया था एडवांस कोर्स के साथ अभियान
इन दो प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की तलाश के लिए इस बार निम ने अपने एडवांस कोर्स के साथ अभियान चलाया। इस अभियान का नेतृत्व स्वयं निम के प्रधानाचार्य कर्नल अंशुमन भदौरिया कर रहे हैं। बुधवार सुबह डीकेडी स्थित घटनास्थल के क्रेवास से विनय पंवार का शव बरामद हुआ। दूसरे की तलाश जारी है।
बचपन से ही साहसिक खेलों व पर्वतारोहण का था शौक
उत्तरकाशी कोतवाली में तैनात निरीक्षक दिनेश कुमार ने बताया कि विनय को बचपन से ही साहसिक खेलों और पर्वतारोहण का शौक था। फरवरी 2023 में उनकी शादी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही हिमस्खलन हादसे में वह दुनिया से विदा हो गए।  मुताबिक, उनको निम की ओर से विनय का शव मिलने की सूचना दी गई। शुक्रवार सुबह नाविक विनय का शव प्रशासन व नौसेना के अधिकारी हरिद्वार के हरिपुरकलां स्थित उनके आवास पर लेकर पहुंचे। यहां पार्थिव शरीर को केवल दस मिनट के लिए रखा गया। इसके बाद खड़खड़ी शमशान घाट पर सैन्य सम्मान के साथ पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले सेना के जवानों ने सलामी दी।
शव मिलने के साथ ही एक वर्ष से लापता विनय के जिंदा रहने की उम्मीद टूट गई थी। शव मिलने की सूचना के बाद से गांव का माहौल गमगीन है। बीते गुरुवार को आसपास के लोग व कई रिश्तेदार विनय के माता-पिता को हिम्मत बंधाने पहुंचे। माता नारायणी का रो-रोकर बुरा हाल है। विनय के बड़े भाई दीपक और पिता राजेंद्र पंवार उनको संभाल रहे हैं।

एवरेस्ट पर चढ़ने का था सपना
विनय का सपना एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ने का था। वह अक्सर एवरेस्ट के बारे में बात करता था। विनय ने पर्वतारोहण का प्राथमिक कोर्स कर लिया था। वर्ष 2019 में उसने रुद्राखेड़ा पिक फतेह की। बीते वर्ष वह निम में 28 दिन के एडवांस कोर्स के लिए गया था।
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