हरिद्वार में आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम के अन्तर्गत कविता- पाठ हुआ तथा रचनाकारों को सम्मानित किया गया।

सम्मान हरिद्वार
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हिन्दी सेवा समूह,हरिद्वार तथा अंतर्राष्ट्रीय पटल आयुष समृद्धि, कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में कल शाम आवास विकास कॉलोनी हरिद्वार में एक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसके अन्तर्गत कविता- पाठ तथा रचनाकारों को सम्मानित किया गया।

इसी कार्यक्रम में श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान(पंजी०), हरिद्वार द्वारा हिन्दी सेवा के लिए प्रो०(डॉ०) विनीत अग्निहोत्री को सम्मानित किया गया। आवास विकास कॉलोनी में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष मलिक ने की इसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० एन० पी० सिंह की जिसके संयोजक डॉ० विनीत अग्निहोत्री रहे कार्यक्रम का सफ़ल संचालन डॉ० अशोक गिरि द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वन्दना से हुआ। मुख्य अतिथि डॉ सिंह ने कहा” साहित्य का सृजन समाज के विकास के लिए होना चाहिए। हमें पद्य रचनाओं के साथ -साथ गद्य रचनाओं पर भी लेखनी चलानी चाहिए। अब समय आ गया है ,कि हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने के अपने -अपने स्तर पर प्रयास करें।” अध्यक्ष सुभाष मलिक ने कहा ” साहित्यकार को सबसे पहले एक अच्छा व्यक्ति होना चाहिए। क्योंकि उसकी लेखनी समाज को एक दिशा देती है।” उन्होंने आज के विषम राजनीतिक परिदृश्य पर एक रचना का पाठ भी किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉअग्निहोत्री नेकहा – ” मातृभाषा तथा मातृभूमि की सेवा ईश्वर पूजा से कम नहीं है।” उन्होंने कार्यक्रम में सम्मिलित सभी साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम एवं हिन्दी सेवा समूह के संचालक – ” हिन्दी का प्रचार- प्रसार तो हो, परन्तु उसकी मूल प्रवृत्ति बनी रहे। हमे एकरूपता तथा मानकता पर भी ध्यान देना होगा।” उन्होंने गरीबी के परिदृश्य को सम्मुख रखते हुए एक कविता भी प्रस्तुत की।कार्यक्रम में डॉ०सुशील त्यागी,डॉ० मीरा भारद्वाज, डॉ० अर्चना वालिया, शशि श्रोत्रिय, कंचन प्रभा, डॉ० विजय त्यागी,वैष्णवी झा,वृन्दा शर्मा और डॉ० मंजु अग्निहोत्री इत्यादि ने विविध विषयों पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं l

डॉ० वालिया -” यदि चाहते हो,बने स्वर्ग धरती। तो सोए मनुज को जगाना पड़ेगा।।” वैष्णवी झा – “मैं अबला नादान नहीं हूं। दबी हुई पहचान नहीं हूं।।” डॉ० सुशील त्यागी – ” मां का सच्चा प्यार रे। मिलता जिसे दुलार रे।।”

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