रुद्रप्रयाग में फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वाले एक व्यक्ति को अदालत ने 5 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई और साथ ही, उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
बताया गया है कि अरविंद कुमार नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2002 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से बीएड की डिग्री प्राप्त करने का दावा करते हुए उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी। कुछ समय पश्चात शिकायत के आधार पर उसकी विभागीय जांच हुई जिसमें पाया गया कि अरविंद कुमार की डिग्री फर्जी है। इस आधार पर उसे निलंबित कर दिया गया और बाद में बर्खास्त कर दिया गया।
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की और सभी सबूत जुटाने के बाद अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने अरविंद कुमार को दोषी करार देते हुए उसे 5 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
शिक्षा विभाग में अरविंद कुमार की नियुक्ति के कुछ वर्ष बाद ही कुछ लोगों ने इस बात पर सवाल उठाना शुरू किया कि उसकी डिग्री फर्जी है। इस पर शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि अरविंद कुमार ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से बीएड की डिग्री प्राप्त करने का दावा किया था, लेकिन विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में उसका नाम नहीं मिला। इसके बाद शिक्षा विभाग ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मामले की जांच कर पुख्ता सबूत के साथ अदालत में केस दर्ज किया जहां उसे यह सजा सुनाई गई।
गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है जब किसी शिक्षक को फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने के जुर्म में सजा हुई हो। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं। पांच अक्टूबर को भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक अन्य शिक्षक को फर्जी बीएड की डिग्री के मामले में पांच वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी।
यह मामला समाज के लिए एक बड़ा संदेश है। यह बताता है कि जो लोग नियमों को तोड़कर नौकरी हासिल करने की कोशिश करते हैं, उन्हें कड़ी सजा भुगतनी पड़ती है। इस मामले से यह भी पता चलता है कि शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है।