श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस कथा व्यास गोस्वामी जी ने भगवान शिव के पांच मुखों का वर्णन किया।

धार्मिक हरिद्वार
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सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस में व्यास महंत प्रदीप गोस्वामी जी ने कहा की ये शिव महापुराण संसार का प्राण है ।
कथा के मध्य उन्होंने बताया जब व्यास जी को शांति प्राप्त नहीं हुई तो ये कथा संत कुमार जी के द्वारा व्यास जी को सुनाई गई जिससे उनको आत्मिक सुख मिला।
भवसागर से पार ले जाने वाले इस महान पुराण की व्याख्या करते हुए कहा की किस प्रकार भगवन विष्णु और ब्रह्मा जी को भी स्वयं जब अहंकार रूपी शत्रु ने घेर लिया तब दोनो का मोह दूर करने के लिए भगवान शिव स्वयं निष्कल(लिंग)रूप में प्रगट हुए और दोनो के मद को दूर किया।
जो प्राणी किसी कारण भगवान शिव प्राप्ति के तीन प्रमुख योग श्रवण कीर्तन और मनन इनका यत्न न कर पाए उन लोगों को शिव कृपा पाने के लिऐ नित्य शिव पूजन यथा शक्ति करना चाहिए इस प्रकार बहुत जल्दी जीव शिव पद की प्राप्ति कर सकता है
भगवान शिव के पांच मुखों का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने बताया पांचों मुख पांच अलग अलग शक्तियों संकेत करते है
जिनमें पूर्वाभिमुख श्रृष्टि
दक्षिण मुख स्थिति
पश्चिम मुख प्रलय
उत्तर मुख अनुग्रह
ऊर्ध्व मुख ज्ञान रूपी शक्ति का सूचक है
भगवान शिव के पांचों मुख में ऊर्ध्व मुख ईशान दुग्ध जैसे रंग का है।
पूर्व मुख तत्पुरुष पीट वर्ण का है।
द्लाशीन मुख अघोर नील वर्ण का है।
पश्चिम मुख सध्योजात स्वेत वर्ण का है।
उत्तर मुख वाम देव कृष्ण वर्ण का है
कथा में पंचाक्षर मंत्र के और जप विधि का विषेश वर्णन करते हुऐ महराज श्री ने बताया की पंचाक्षरी मंत्र प्रयोग से ही समस्त सुखों की प्राप्ति कर सकता है। सदैव ॐ नमः शिवाय इस मंत्र श्रद्धा पूर्वक जप करना चाहिए।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,
राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,अनिल चौहान,मान दाता,हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान, होशियार सिंह, अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता,नीरु गौतम,सुनीता चौहान,पूनम,संतोष चौहान,मंजू,सुमन,रेनू,मनसा मिश्रा,गीता,विनीता,सरला,राजकिशोरी मिश्रा,विभा गौतम,कुसुम गेरा,अनपूर्णा मिश्रा,बबिता, आदि सम्मिलित हुए ।

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