स्वामी राम विश्वविद्यालय जॉली ग्रांट में प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आरंभ।

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हमें अपने प्राचीन अध्यात्म ज्ञान की ओर लौटना होगा-विजय धस्माना,
भारत का आध्यात्म बहुत समृद्ध है-डोभाल
योग सभी बीमारियों का निदान-स्वामी दयाधिपानंद
स्वामी राम ने कई साल पहले प्राचीन भारतीय अध्यात्म का आभास कराया था- डॉ. चौहान
अपनी संस्कृति और भाषा को अपनाएं- डॉ दीपक गोयल
जॉली ग्रांट (देहरादून) 16 नवंबर। स्वामी राम विश्वविद्यालय, जॉली ग्रांट, देहरादून में प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आज शनिवार को शुरू हो गई। मुख्य अतिथि स्वामी राम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ विजय धस्माना, कुलपति राजेंद्र डोभाल, विश्वविद्यालय के अकादमी एवं विकास केंद्र के महानिदेशक डॉ विजयेंद्र डी चौहान, रामकृष्ण मिशन चैरिटेबल हॉस्पिटल मुंबई के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट स्वामी डॉ. दयाधीपानंद महाराज,ऋषिकेश एम्स की निदेशक डॉ. मीनू सिंह, कॉन्फ्रेंस की आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ.दीपक गोयल ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर स्वामी राम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथि डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि हमें अपने अध्यात्म ज्ञान की ओर फिर से वापस लौटना होगा। जिससे ही हमारी सभी बीमारियों का निदान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आज हम अपनी जड़ों को भूल गए हैं। इसलिए कई समस्याएं हमारे सामने जटिल बनकर खड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोगों ने योग को व्यापार बना दिया है। और ऐसे लोग योग और ध्यान के नाम पर लोगों को डरा रहे है। तभी समाज में अनेक विसंगतियां पैदा हो रही है।
प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान के रहस्यों को उजागर करते हुए डॉ. धस्माना ने कहा कि मनुष्य की मृत्यु के साथ-साथ बुद्धि और अहंकार मर जाएगा परंतु चित्त बच जाएगा। इसीलिए योग द्वारा चित्त की विकृतियां का शमन करना आज के युग की जरूरत है।
स्वामी डॉ. दयाधीपानंद महाराज ने कहा कि योग सभी बीमारियों का निदान है। हमें अपने जीवन में योग, अध्यात्म और ज्ञान को ध्यान को नियमित दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। एम्स ऋषिकेश की निदेशक मीनू सिंह ने कहा कि गीता में हमें कर्म योग,राज योग बारे में बताया गया है जो हमारे जीवन की सभी कठिनाइयों निदान करता है। भारतीय अध्यात्म ज्ञान बहुत समृद्ध है। विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र डोभाल ने कहा कि भारत का प्राचीन अध्यात्म ज्ञान बहुत समृद्ध हैं जो हमें जीवन जीने की पद्धति को सीखता है।

विश्वविद्यालय के अकादमी एवं विकास केंद्र के महानिदेशक डॉ.विजयेंद्र डी चौहान ने कहा कि हम सब के आदर्श और प्रेरणादायक स्वामी राम ने हमें कई साल पहले आध्यात्मिक की शक्ति का आभास कराया था। उन्होंने प्राचीन भारतीय अध्यात्म और तंत्रिका विज्ञान पर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस करने पर मुख्य आयोजक तंत्रिका विज्ञान के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ दीपक गोयल को साधुवाद दिया।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के मुख्य आयोजक और तंत्रिका विज्ञान के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ. दीपक गोयल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जो देश अपनी संस्कृति और भाषा को भूल जाता है, वह कभी तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आज हमारी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और भाषा को भूलती जा रही है। जो चिंता का विषय है। उन्होंने युवा पीढ़ी से अपनी संस्कृति और भाषा को दिल खोल कर अपनाने की अपील की।

डॉ दीपक गोयल ने कहा कि स्वामी राम की यह तपस्थली इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पूरे विश्व में प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान के माध्यम से आधुनिक तंत्रिका विज्ञान को एक नई दिशा देगी। उन्होंने सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर को सम्मानित किया। कॉन्फ्रेंस के आयोजक समिति के संयोजक डॉ. अश्विनी भट्ट ने सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ और रुद्राक्ष की माला भेंट कर स्वागत किया और आभार जताया। आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष डॉ. मनीष गोयल, संयोजक डा. निक्कू यादव ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से अध्यात्म और तंत्रिक विज्ञान के 200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर विशेषज्ञों ने भाग लिया।

कॉन्फ्रेंस में अमेरिका से आए डॉ जॉन क्लार्क ने भारतीय आध्यात्मिक विज्ञान के माध्यम से न्यूरो से पीड़ित मरीज को ठीक करने की विधि बताई। वे अमेरिका में इस विधि से कई मरीज को लाभ पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर हिमालय हॉस्पिटल जॉली ग्रांट के मेडिकल सर्विसेज के डायरेक्टर डॉ. हेमचंद्रा, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ .अशोक देवराडी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिडनी के डॉ नवीन, माउंट आबू राजस्थान से आई शांति दूत बिन्नी सरीन ने अपने विचार रखें। और भारतीय प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान के बारे में प्रकाश डाला। नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष प्रोफेसर बीएन गंगाधर ने वर्चुअल (आभासी) माध्यम से कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय प्राचीन अध्यात्म और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान के बारे में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रिया सिंह ने किया। गुरु वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई और राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ। कल समापन समारोह स्वामी राम की तपस्थली साधक ग्राम ऋषिकेश में होगा।

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