सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 में चल रही ग्यारह दिवस की कथा के छठे दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास महंत श्री प्रदीप गोस्वामी जी महाराज जी ने भगवान शिव के विवाह की लीला का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने कहा की मनुष्य अपना और संसार का कल्याण चाहता है ,सुख चाहता तो,सम्पदा चाहता है तो उसे देवो के देव शिव भोले महादेव की शरण में आ कर भगवान शिव का गुणगान करना और उनके गुणगान को ध्यानपूर्वक सुनना चहिए इससे वह दोनो लोक मे अमर हो जाता है ।जब भगवान शिव व पार्वती जी का विवाह संपन्न हुआ और जब विदाई का समय आया तो पार्वती जी की माता मैना रानी अपनी पुत्री पार्वती को समझाते हुए कहती है कि हे बेटी आपका जन्म विश्व कल्याण के लिए हुआ है क्योंकि भगवान शिव जगत के पिता है तो तुम आज से जगत की माता बन गई हो।मैना रानी ने माता पार्वती को स्त्री धर्म बताया। उन्होंने कहा कि साध्वी स्त्री का यह धर्म है कि वह मन, वचन और कर्म से पति की परायण रह कर उसकी सेवा करे। उन्होंने बताया कि संसार के अंदर तीन प्रकार के अधिकार हैं। जन्म सिद्ध, कर्म सिद्ध और धर्म सिद्ध अधिकार। धर्म सिद्ध अधिकार पत्नी को प्राप्त होता है। इसके आधार पर ही पत्नी का कर्तव्य है कि वह अपने ससुराल के कुल मर्यादा का ध्यान रखते हुए हर्षोल्लास पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए। मैना रानी सामाजिक स्त्रियों को यह संदेश देना चाहती है कि पुत्री पर आपका अधिकार तभी तक है जब तक वह आपके पास है आप के घर पर है लेकिन विवाह के उपरांत उस पर आपका कोई अधिकार नहीं रहता है उसे ससुराल के परिवार की सेवा तथा उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए इसी में ही उसके घर की सुख समृद्धि बनी रहती है।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,राम कुमार, मोहित तिवारी,दिलीप गुप्ता,आदित्य गहलोत,दिनेश उपाध्याय,अनिल चौहान,विष्णु समाधिया,मान दाता,हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान,होशियार सिंह,अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता,नीरु गौतम,सुनीताचौहान ,पूनम,संतोषचौहान,मंजू,रेनू, गीता बहुगुणा
मनसा मिश्रा,विनीता,सरला,
राजकिशोरी मिश्रा,विभा गौतम,कुसुम गेरा,संगीता महातो,विनोद देवी, अनपूर्णा मिश्रा,उमा राणा,बबिता, कौशल्या,मिनाक्षी और अनेको श्रोतागण सम्मिलित हुए ।